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-गुरुवाणी:
ये आराम की बातें हैं. संसार की विचित्रता का परिचय इससे मिलता है. कैसा भयंकर संसार है. यह नाटक देखकर पति को जरा हंसी आ गई. आप जानते हैं, घर में सास, बहू का तनाव तो होता है. वहां भी वातावरण ऐसा था, पर पति बड़े गम्भीर थे, उस समय बहू भोजन परोसने आई. उसने अपनी सास को इस प्रकार से पल्ला डालते हए देखा. सूर्य के सामने से जहां किरण आ रही थी, वहां पल्ला डाल कर वह बैठी थी. पतिदेव हंस रहे थे एक दम अचानक. कोई बात किए बिना. बहू के मन में एकदम विचार आया कि इसको हंसी कैसे आ गई. बिना कारण बिना बात किए. कोई बात की नहीं, कोई ऐसी चर्चा चली भी नहीं, लाकर मैने तो थाली में रोटी डाली और उन्होंने पल्ला किया और मेरे ससुर हंसने लग गए. जरूर इसमें कोई रहस्य होगा. पर वह कुछ बोली नहीं.
रात को पतिदेव आए तो बह ने कहा - पिता की सेवा करते समय पांव दाबते समय यह जरूर से पूछना कि दोपहर को भोजन करते-करते आज बिना कारण हंसी कैसे आई? यह रहस्य जानकर के आना. पत्नी का कहा हुआ था. बेचारे गए और पिता बातें करने लग गए, बातें करते-करते पुत्र ने पिता से पूछा - पिता जी, अग्ज भोजन करते समय आपको अचानक हंसी क्यों आ गई थी? इसमें रहस्य क्या है? जरा जानने की इच्छा है,
बाप ने कहा - "बेटा संसार की बडी विचित्रता है. मैं बोलना नहीं चाहता. कहने जैसी बात नहीं है." बेटा बोला – “पिता जी, मैं आपका पुत्र हूँ, आपकी सन्तान हूँ, पिता-पुत्र में पर्दा कैसा? यदि कोई रहस्य है तो आपका मुझ पर उपकार होगा. आपका अनुभव मुझे फायदा देगा." पुत्र की बात विनय पूर्वक थी. बाप ने भी सोचा कि कदाचित् मेरे अनुभव से यह शिक्षा ले ले. संसार का वैराग्य इसके अन्दर आए. इस दृष्टि से पेट की बात जो बड़ी मार्मिक थी, पुत्र से कह डाली "तेरी मां आज सती-सावित्री की तरह से मेरे पास बैठकर पल्ला लेकर, सूर्य की किरण आंख में न पड़े, खाते समय अशान्ति न हो, उसके लिए इतना प्रयत्न कर रही थी. तू बालक था, जब मेरे पास कुछ नहीं था, विदेश कमाने के लिए निकला, कुएं में रस्सी डाली, लोटा डाल पानी निकालने के लिए. तेरी मां ने मुझे धक्का देकर अन्दर गिरा दिया. वही है तेरी मां जब आज पैसा आ गया, तू समझ गया ना?"
"हां पिता जी, सब समझ गया."
यह संसार बड़ा विचित्र है. यह किसी एक व्यक्ति का दोष नहीं, अपितु यह कर्म का दोष है. संसार इस विचित्रता के अनुभव से शिक्षा ले. वह सेवा करके आया और उसने अपनी पत्नी से कह दिया. उससे बात पची नहीं.
पत्नी को तो इतना ही चाहिए था, एटम बम मिल गया, कभी सास धडाका पटाखा छोड़ेगी तो मैं एटम बम डाल दूंगी. घर के अन्दर एक दिन ऐसा वातावरण बना, छोटी सी बात को लेकर विस्फोट हुआ. बहू ने कह दिया, देखी-देखी बहुत सती आई है, तूने पद
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