________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
गरुवाणाकमmit
-
बड़ा व्यापार था उसका, उसके अंदर उनकी भागीदारी रखी. इस प्रकार से मालामाल हो गए. कल्पना से बढ़कर लक्ष्मी उनको मिली. दो चार छह महीने बाद धन उर्पाजन करके जब लौटने लगे तो मन में सोचा. ससुराल होकर जाऊं. वहां घरवाली होगी तो लेकर जाऊं. घरवाली ने कल्पना कर ली थी. वे तो कभी मर मरा गए. वह यही जानती थी और बड़ी निश्चिन्त थी.
उनके पतिदेव बहुत सी गाड़ी भरके दौलत सामान लाए. न जाने कितनी पेटी और पिटारे भर के जवाहरात लाए. इस दौलत को साथ ले घर के सामने पहुँचे. लक्ष्मी की माया बड़ी विचित्र है. लक्ष्मी चली जाए तो कोई घर में पूछने वाला नहीं, भले ही वह ससुराल क्यों न हो.
सेठ मफतलाल ससुराल में बहुत बर्षों के बाद गए. कभी जाते ही नही थे. अब तो घरवाली भी मर गई थी. विचार किया कि अब ससुराल जाकर क्या करूंगा? परंतु संयोग वश रास्ता वहीं से था. पांच सात साल बिना गये निकल गए थे. घर सास थी. दो तीन साले थे. और कोई परिवार में नही था. ससुर जी तो कभी के देवलोक चले गए थे. ऐसी परिस्थिति में मफतलाल ने देखा कि रात पड़ गई है. कम से कम रात तो यहां बिता लूँ, यह विचार किया. यद्यपि वे जानते थे कि पत्नी के मर जाने पर ससुराल का वातावरण कैसा हो जाता है. वहाँ दामाद की कोई कीमत नहीं रहती. - छ: सात वर्ष के बाद गए थे. शाम का समय था. सास को उनका आना अच्छा नही लगा फिर भी उसे स्वागत का नाटक करना ही पड़ा. बोली-आओ-आओ. बहुत दिन बाद आए. एकदम अचानक कहां रास्ता भूल गए. ___ मफतलाल ने कहा-नहीं-नहीं, मेरी इच्छा थी. बहुत दिन हो गए थे. सोचा कि सबसे मिलूं. अन्दर कोठरी में बैठा दिया. सास कंजूस सेठ की अवतार थी. टका एक छूटे नही. __मफतलाल आए तो सेवा भी उसी प्रकार से हुई. उन्हें अन्दर रूम में बैठा दिया गया. और सामने थाली रख दी गई. गांव के अंदर तो तेल का दिया होता है. वह एक तरफ जल रहा था. तीनों उनके साले थे जो बाहर काम कर रहे थे. सास ने अंदर बिठा कर कहा- आप बहुत देर से आए नही तो सीरा वगैरह बनाते. अब रात का समय है खिचड़ी तैयार है. आपको को भी भूख लगी होगी. नई रसोई बनाएं तो बहुत टाइम लग जाएगा. आप खिचड़ी खाओ.
अरी माँ जी, जो है वही लाओ. सास ने थाली में खिचड़ी डाल दी और फिर घिलौड़ी, घी का बर्तन ले आई. फिर उसने रुई की बत्ती बना कर इस कलसिया में डाल दी ताकि घी न गिर जाए, ज्यादा. घी डालने का नाटक करने लगी वास्तव में संसार बड़ा विचित्र है. बाहर के लोग भी आए मिलने, बड़े दिन बाद जमाई राजा आए. लोग देखने आए. वह नाटक कर रही थी. गोल-गोल घुमाने पर भी एक बूंद भी न गिरता था. क्योंकि बत्ती डाली हुई थी अंदर.
255
For Private And Personal Use Only