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गुरुवाणी
गाड़ी चल रही थी. वह जान गया कि इसकी हरकत बड़ी खराब है. इसकी नजर मेरी अंगूठी पर है. गुंडा आया. धमकी देने लगा. मफतलाल बड़ा चालाक और चतुर था. गुंडे ने इशारा किया कि तुम्हारे पास जो कुछ है, वह उतार कर दे दो.
मफतलाल ने कहा- बोल नहीं सकता, कान पर इशारा किया कि मैं सुन भी नहीं सकता. आप लिख कर दे दो कि आप क्या बात कर रहे हैं गूंगा बन गया, बहरा बन गया. सामने वाला व्यक्ति विचार में पड़ गया, उसने समझा यह गूंगा ही होगा, बहरा भी होगा. उसने एक कागज का टुकड़ा निकाला और पेन से लिख कर के दिया "जो कुछ तुम्हारे पास है, तुम दे दो. अगर नहीं दिया तो उसका परिणाम भोगना पड़ेगा. मैं तुम्हे खतम कर दूँगा. चलती हुई गाड़ी से तुमको बाहर फेंक दूंगा. चुप चाप दे दो." लिख कर कागज दिया है. मफतलाल ने कागज ले लिया. डाला पोकेट में, अगूंठी घड़ी जो कुछ था वह निकाल करके दे दिया. व्यक्ति को अच्छी तरह उसने पहचान लिया. आने वाले स्टेशन पर उस गुंडे ने देखा कि मेरा काम तो हो गया. अंगूठी मिल गई. घड़ी मिल गई इसके बाद, चार पांच हजार रुपये नगद भी मिल गए गूंगा आदमी है, बहरा आदमी है. निश्चय हो गया, वह क्या चिल्लाएगा? क्या बोलेगा? उसकी आवाज कौन समझेगा ? वह निश्चित था. आने वाले स्टेशन पर वह हजरत उतर गया माल सामान लेकर उसे कल्पना नहीं, थी कि गूंगा कुछ बोलेगा.
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पीछे से मफत लाल उतरा और चिल्लाया "चोर चोर मुझे लूट कर ले जा रहा है." पैसेन्जर इकट्ठे हो गए. चोर विचार में पड़ गया. इस को आवाज कहां से आ गई. वह घेर लिया गया चारों तरफ से और पकड़ा गया. कोर्ट के अन्दर सबूत के रूप में वह स्लिप निकाल कर दे दी. इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिए. गाड़ी में इसने धमकी दी किसको साक्षी लाऊं मैं? वहां कौन विटनेस मिलेगा ? मैनें इससे लिखा करके ले लिया. मैंने यह चालाकी की. इसने लिख कर दे दिया. राइटिंग इसकी है पूछ लीजिए नहीं तो टेस्ट करा लीजिए. माल पकड़ना पड़ा. सजा हो गई. माल भी मिल गया, सजा भी हो गई. साक्षी की जरूरत नहीं पड़ी. चालाकी कैसे काम आई ? खेद है कि हम चालाकी और बुद्धि का उपयोग संसार को बचाने के लिए तो करते है. किन्तु कभी आत्मा के रक्षण में इसका उपयोग नहीं करते. मेरी आत्मा के गुण नष्ट हो रहे है. वह कर्म चोरी जैसा है. मेरी सारी साधना की पूंजी रोज लूटी जा रही है. आप ने वहाँ जो कमाया वह दुकान
में लुटा न दो, इसके लिए सिक्युरिटी चाहिए. दुकान के माल की रखवाली चौकीदार करता है, साधु भी चौकीदार जैसा है आवाज देता है आपको जगाता है, सावधान करता है. कोई भय नहीं, कोई खतरा नहीं, किसी पाप का प्रवेश नहीं, आप निश्चिन्त होकर बैठे हैं.
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यहाँ से आप दुकान तक यह सोचते जायेंगे कि आज बहुत धर्म कमाया है. बड़े सुन्दर विचार मिले. बहुत सुन्दर भावना से पुण्य उपार्जन किया. वहाँ पहुँच कर नौकर को हुंडी लाने को कहेंगे, उसके साथ ही लोभ पहुँच जायेगा.