________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
गुरुवाणी:
सियार चुप रहा, परन्तु क्या करे, वह भूख से लाचार था. उसने कहा "भगवन् ! और कुछ नहीं, कान खां, लूं तो क्या है ? कान क्या पाप किया है ? छोटे से कान यदि मैं भक्षण कर लूँ तो मुझे थोड़ी सी तृप्ति मिल जायेगी. मानसिक सन्तोष मुझे मिल जायेगा.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
" सारश्रुते द्रोहिणौ”
योगी पुरुष ने गर्जना करके कहा- इस कान ने कभी भला श्रवण नहीं किया. पर निन्दा का ही श्रवण किया है. जगत की चर्चा का ही श्रवण किया है, कभी धर्म कथा या प्रवचन से इसने इस कान को पवित्र नहीं किया. ये कान खाने योग्य नहीं, तेरी बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी, तेरी सारी पवित्रता भी चली जाएगी, मेरा यह आदेश है, तू इसे खाने का विचार छोड़ दे.
'सारस ऋतौ द्रोहिणौ' आंख से कभी अच्छा देखा नहीं, कान से कभी धर्म कथा सुनी नही. सियार विचार में पड़ गया. कहा कि भगवान फिर क्या करूं. इसके हाथ खा लू. आपने मना कर दिया तो मुझे चुप रहना पड़ता है.
"हस्तौ दानविवर्जितौ”
इसने जीवन के अंदर हाथ से कभी दान किया ही नहीं. जगत को लूटने में ही इसका प्रयोग किया. अर्पण में कभी इसका उपयोग नहीं किया. केवल दुरुपयोग किया है. इसलिए भूलकर भी इसके हाथ का भक्षण मत करना, वरना तेरी रही-सही भी चली जाएगी. भवान्तर के अंदर इससे भी भयंकर योनि में तुझे जन्म लेना पड़ेगा.
जो हाथ सेवा के लिए कुदरत ने दिया, जिस हाथ से परमात्मा या साधुओं, मुनिजनों की भक्ति करनी चाहिए. जो हाथ दीन-दुखियों की सेवा के लिए मिला है, उसका उपयोग आज तक हमने क्या किया ? कोई साधन बुरा नहीं होता, साधन का उपयोग बुरा या भला होता है.
चाकू कितने व्यक्तियों को जीवन दान देता है, न जाने कितने व्यक्तियों का प्राण लेता है. चाकू निरपेक्ष है, निर्दोष है, उसका उपयोग यदि विवेक पूर्वक किया जाए तो लाभ के लिए है. विवेक शून्य होकर यदि उपयोग करें तो हानिकारक है. ये सारी इन्द्रियाँ मोक्ष प्राप्ति में सहायक बनती हैं. सारी इन्द्रियां कर्म क्षेत्र में सहयोग देने वाली बनती हैं. परन्तु यदि दुरुपयोग किया जाए तो दुःख को आमन्त्रित करती हैं.
हाथ का उपयोग कभी हमने इस प्रकार किया ही नही. सेवा के लिए इसका उपयोग हमसे कभी न हो पाया.
"हस्तौ दानविवर्जितौ”
व्यक्तियों की आदत है जगत को प्राप्त करना हमें प्राप्ति में आनन्द अनुभव होता है, अर्पण में जरा भी आनन्द नहीं आता है. लोग क्षणिक प्राप्ति के अन्दर बड़ी शान्ति का अनुभव करते हैं. परन्तु वह शान्ति स्थायी नही रहती, अस्थायी होती है. न जाने इस प्राप्ति
245
For Private And Personal Use Only
吧
च