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गुरुवाणी:
प्रेम में स्थिरता नहीं मिलेगी. आवेश में स्थिरता नहीं मिलेगी. जिन्दगी भर आप प्रेम को रखते हैं. स्थिरता आ जाएगी. आवेश कितने समय करेंगे थक जाएंगे. बेहोश हो जाएंगे, यह ज्यादा समय का नहीं होता. बोलने दीजिए बोल बोल कर जब थक जाएं तब आप एक शब्द बोल दीजिए आप कह दीजिए. दिस इज रोंग नम्बर.
सामने वाले व्यक्ति की दशा देखिए मन को समझा दीजिए. कोई गलत बोलता हो तो मैं रोग नम्बर हूं. आत्मा से इसका कोई संबंध ही नहीं. जगत् में ऐसी चर्चाएं चलती रहेंगी. ये कभी कम होने वाली नहीं. उस वर्षा से मेरा कोई संबंध नहीं, कोई किसी तरह का सरोकार नहीं तो बहुत कम बोलने का प्रयास करें.
राजा शिकार के लिए गया. तीन रानियां साथ में थी सबकी अलग-अलग रुचियां थीं और रास्ते में जब शिकार के लिए गए. जरा वातावरण ऐसा था. एक रानी ने कहा. अपनी जिज्ञासा प्रकट की मुझे वहां संगीत सुनना है. क्या सुन्दर प्राकृतिक वातावरण है. यहां यदि संगीत चलता हो तो आनन्द आ जाए. राजा ने कहा- सरो नत्थी ।
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दूसरी रानी को बड़ी प्यास लगी थी. जंगल था. कहीं ऐसा नज़दीक में साधन न था और राजा से कहा मुझे तो बड़ी प्यास लगी है.
राजा ने फिर वही शब्द कहा सरोनत्थी. तीसरी रानी उसने अपनी जिज्ञासा प्रकट की कि मुझे एक तीर दो शिकार करना है. इतने सुन्दर यहां जंगल में पशु चर रहे हैं. और दो चार हिरणों का शिकार मुझे करना है.
राजा ने कहा
सरोनत्थी.
तीनों ने प्रश्न किया और तीनों का एक ही उत्तर सरोनत्थी. तीनों को समाधान मिल गया. वाणी का कैसा विवेक, कैसी मर्यादा, एक शब्द के अंदर सबका समाधान मिल गया. क्या ? सरोनत्थी, क्या गान के योग्य इस समय मेरा स्वर नहीं है. सरोनत्थी तुम्हें प्यास लगी है मैं जानता हूं. यहां पर तालाब नहीं है. सरोनत्थी तीर मांगा शिकार के लिए मुझे तीर चाहिए. राजा ने कहा सरोनत्थी, "सर" कहते हैं तीर को वहां तीर नहीं है.
तीनों ने अलग-अलग प्रश्न किए और जवाब एक ही मिले. सरोनत्थी.
आगमिक सूत्र में भगवन् ने कहा इसी प्रकार वाणी का विवेक रखें कम से कम बोलने के कारण आप क्लेश से बच जाएंगे. दोष से बच जाएंगे. आपका प्रेशर नार्मल हो जाएगा. कोई शरीर के अंदर गलत प्रतिक्रिया नहीं होगी. मन का भी आरोग्य मिलेगा. तन का भी आरोग्य मिलेगा और साथ में आत्मा को भी परम आरोग्य मिलेगा.
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आत्मा के आरोग्य को नुकसान पहुंचाने वाले तो क्लेश हैं और क्लेश का जन्म स्थान है पर निन्दा, पर-परिवाद, कदाचित बोलना पड़े आपका व्यवहार वाणी के ऊपर चलता हैं तो कैसा बोलना. माधुरम् मिठास दूसरा गुण है.
आप किसी के घर जाएं और कोई व्यक्ति आपको चाय या कॉफी लाकर के दे. मीठा नहीं हो तो आपको कैसा लगेगा. पीने के अंदर चाय या कॉफी स्वाद नहीं देगा. चेहरा
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