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गुरुवाणी:
मिलेगा. विश्रान्ति मिलेगी परन्तु वह तो साधना का श्रम और कहा जाओ. मैं तुम्हारा स्वागत साधना से करवाता हूं. खाना बन्द,
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आपके घर में यदि कोई मेहमान आ जाए. आप चाहे पानी को न पूछो, भोजन के समय भी आप हवा खाओ. शाम के समय भी आप अंगूठा बताओ. वह मेहमान कहां तक टिकेगा. थक जाएगा. दस बज गए, बारह बज गए, कोई पता नहीं चाय नहीं, पानी नहीं. कुछ भी नहीं. आहार का त्याग, पानी का त्याग करके वे तो ध्यान में बैठ गए. विश्रान्ति भी नहीं आने वाली बीमारी सोचने लग जाती है यहां कोई स्वागत नहीं. सद्भाव नहीं, कुछ भी नहीं. मैं आया, मुझे कोई पूछने वाला नहीं तो एक दिन के अन्दर सब भाग जायें, दूसरे दिन वहां आने का नाम भी न लें.
यह सारी प्रक्रिया तो हम भूल गए. अब तो हम ऐसा व्यवहार करते दुश्मन के साथ जो आत्मा का शत्रु माना गया. कर्म वह यदि बीमारी के रूप में आ जाए, सुबह उठते ही यदि आपका शरीर टूटे, यदि सर्दी खांसी जुकाम आ जाए, जरा टेम्परेचर हाई हो जाये. क्या करते हैं? तुरन्त टेलीफोन से डॉक्टर को बुलाते हैं.
फैमिली डॉक्टर बुलाया गया है. सारे पुत्र-बेटियां आदि को बुलाते हैं कि आओ जैसे कि कोई बड़ा चीफ गेस्ट जैसा आया हो पूरा परिवार इकट्ठा हो जाता है, क्या हुआ ? कैसे हुआ 1 ? इनके स्वागत की तैयारी डॉक्टर आकर के देखकर के गया. कैप्सूल दे दिया गया. चार बार दवा लेना. यू टेक कम्पलीट रेस्ट, पूरा विश्राम इतने बड़े मेहमान आए. इनको छोड़ कर क्या मैं दुकान जाऊं, उनकी सेवा में पूरे दिन मुझे यहां हाजिर रहना है. डॉक्टर एडवाइज़ देकर के आएगा. आज ऑर्डिनरी खाना खुराक नहीं चलेगा. दाल-भात, रोटी-साग, जो रोज खाते हो, ये चीफ गेस्ट हैं. यू टेक ओनली लिक्विड फ्रूट जूस, टी, अन्ड कॉफी.
दिन में चार बार मौसमी का रस, दिन में दो बार चाय लो, कॉफी लो. बहुत अच्छा रहेगा. आने वाला मेहमान देखता है, बहुत अच्छा बेवकूफ मिला दस-पांच दिन भी रहो, काहे को जाना.
उपवास करें तो एक दिन में भाग जाए परन्तु स्वागत आप ऐसा करते हैं, आने वाला मेहमान दस दिन टिकता है. आखिर डाक्टर को भी वही रास्ता लेना पड़ता है. कहना पड़ता है कि आप बन्द करिए.
मेरी बात समझ गए. यह सब जीभ का उलझन है. आपका अंकुश यहां कुछ भी नहीं है. जीवन पर्यंत हम जीभ के गुलाम बनकर के रहते हैं. ये खिलाओ, वो खिलाओ, वो अपना कमीशन काटता है. आप दिवाली मनाओ कि दिवाला निकालो, उसे क्या मतलब.
आहार का संयम सबसे पहले चाहिए. आहार पूर्ण सात्विक होना चाहिए. तभी सात्विक विचार आएंगे. आहार यदि दूषित है तो आहार का परमाणु आपके विचार को दूषित करता है. वह परमाणु विचार परमाणुओं को दूषित करता है और वैसे विचार आपके आएंगे.
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