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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी सन्तों को वन्दन करें. जरूर करें, आपका आचार और शिष्टाचार है. परन्तु आप अगर अन्दर इच्छा रखते हों कि आशीर्वाद मिल जाये और मैं मालामाल बन जाऊं तथा सारी दुनिया की लक्ष्मी आ जाये तो उसके लिए आपके अन्दर बचत खाते में पुण्य होना चाहिये. यदि आपके अन्दर पूण्य का परमाणु होगा तभी वे परमाण मेरे अन्तर्हृदय में आन्दोलन पैदा करेंगे. मैगनेट की तरह मेरे विचार को उद्वेलित करेंगे और सहज में आशीर्वाद बाहर निकलेगा. परन्तु यदि आपके पास पुण्य नहीं है तो किसके घर का आशीर्वाद लाकर दूं यह कोई उधार तो मिलता नहीं कि कहीं से लाकर दे दूं. आप वैज्ञानिक दृष्टि से विचार करके देखिए कि यह हमारे अन्दर नहीं पैदा होती है. ऐसा नहीं कि आपको मैं देता जाऊं. आपके मस्तक पर हाथ रखने से आपको मानसिक सन्तोष मिलेगा पर आपको कोई उपलब्धि तभी होगी, जब प्रारब्ध में होगा. ___ मफतलाल ने हाथ देखा. महान योगी पुरुष ने कहा तेरा नसीब तुझे साथ दे रहा है. ओंधा करे तो सीधा हो जाये. तेरा नसीब इस समय इतना जोरदार है. पुण्य का शुभ-उदय चल रहा है. काहे का विचार करता है. लगा दाव, ओंधा करे तो भी सीधा हो जाये - ऐसा पुण्य है. मफतलाल ने सोचा - अब क्या उपाय किया जाये? योगी पुरुष का वचन असत्य नहीं होगा. साधु कभी असत्य नहीं बोलता. वह राज दरबार में राजा के मुंह लगा हुआ था. बाल्यकाल का भी दोस्त था. इसलिए राजा ने कुर्सी लगा दी थी दरबार में मफतलाल को भी उसका जरा नशा चढ़ता. परन्तु संयोग ऐसा चल रहा था कि पास में पैसा नहीं था और वह नसीब आजमाने के लिए बैचेन था. __वह राज दरबार में गया और विचार किया कि योगी पुरुष ने कहा है - ओंधा करे तो सीधा हो जाये. ओंधा क्या करूं. गर्मी के दिन थे. राज दरबार में जैसे ही राजा आये, राजमुकुट पहने हुए थे. जैसे ही सिंहासन पर बैठे, सारे राजदरबारी खड़े होकर राजा का अभिवादन करने लगे. __ मफतलाल ने सोचा आज योगी पुरुष के वचन की परीक्षा लूं. ओंधे से ओंधा काम करूं. राजा के गाल पर जोर का एक तमाचा लगाया. इससे बड़ा औंधा और क्या होगा किया तो मेरी गर्दन जायेगी या कुछ अच्छा काम होगा. तमाचा ऐसा लगा कि राजा का मुकुट नीचे गिरा अंगरक्षकों ने तलवार खींची कि गर्दन अलग कर दिया जाये. उस बदतमीज ने हमारे राजा का इतना बड़ा अपमान किया है. राजा ने हाथ से इशारा करके रोक दिया और कहा नहीं, इसने मेरे ऊपर महान उपकार किया है. ये गर्मी के दिन हैं. बगीचे के अन्दर से माली बहुत सारे फूल सजाकर मुकुट ले आए थे और फूल की सुगन्ध और काला नाग का बच्चा उस मुकुट में छिप गया था. माली को ध्यान नहीं रहा. बगीचे में पड़ा था. मुकुट दरबार में जाने का समय 198 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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