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-गुरुवाणी
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से अपने पथ से विचलित नहीं हुआ. उसने कहा कि अरिहंत को याद कर मौत को गले लगाऊंगा. उसका मन इतनी सद्भावनाओं से ओत-प्रोत था कि लेश मात्र भी उसमें दुर्भावना नहीं थी. मृत्यु देने वाले को भी वह अपनी अन्तरात्मा से आर्शीवाद देता है. उसके समर्पण-भाव से देवताओं का मन द्रवित हो उठा और उसकी सेवा करने को वे विह्वल हो उठे. एक ऐसे श्रावक-साधु का वृत्तान्त आप देख रहे हैं. आप भी ऐसी साधना कीजिए. परमात्मा के प्रति जीवन को समर्पित कर दीजिये. एक परमेश्वर अरिहन्त के सिवाय और मुझे कहीं नहीं भटकना. फिर उसका अनुभव आप पाएंगे कि बिना बुलाये देव आपके प्रत्यक्ष या परोक्ष जैसे ही होगा, वे आपकी सेवा में रहेंगे,
__ भावना भवनाशिनी भावना तो भव की परम्परा का नाश करती है और सद्भावना आ जाये तो देवताओं को भी गुलाम बना लेती है.
देवा वितं नम सति दुक्करम् करति ते यदि आप उस प्रकार की मंगलभावना अपने में विकसित करलें तो देवता भी आपका साथ देंगे और नमस्कार करेंगे. अर्थात् आप ज्ञान-प्रकाश में अपनी यात्रा आरम्भ करें और अन्धविश्वास को जीवन में न अपनाएं.
जब तक नसीब साथ देता है, तब तक सारी दुनिया आपके साथ है. पाकेट खाली हुआ तो आपको एक आदमी नहीं मिलेगा. आप जहां बजार में जायें, चार-चार गाड़ी घूमती हों, हाईक्लास एयरकंडीशन बंगला या कोठी हो और शान-शौकत से रहते हैं. रोज आपकी कम्पनी का नाम अखबार में चमकता है. उस समय यदि आप चांदनी चौक से निकलें तो बहुत से आपकी आवभगत करने वाले होंगे. उनका तांता लगा होगा. परन्तु आप बम्बई गये और पाकेट साफ हो गया. आने के लिए उधार टिकट लेकर आना पड़े. पूरे गांव को मालूम हो जाये, पेपर में चरित्र छप जाये और तीन महीने की सजा भोग कर के निकले हों. पास में कुछ नहीं खाकी कंगाली. फिर आप चांदनी चौक से निकलें, कोई आपको नहीं पूछेगा.
यह पुण्य का चमत्कार है, सूर्य उदय होता है. सारी दुनिया नमस्कार करती है - नमो नारायण नमो नारायण कहकर दिवाकर की पूजा करेंगे. अस्त होते समय कोई झांककर देखता है कि सूर्य नारायण कहां डूबे? यह पुण्य का उदय काल आता है. पुण्य का सूर्य जब उदय होता है, सारी दुनिया नमस्कार करेगी. जिस समय यह अस्त हुआ कोई नहीं पूछेगा.
सेठ मफतलाल के घर कोई साधु सन्त आये थे. उनके पास जाकर के आशीर्वाद लिया. मफतलाल ने कहा भगवन् – जरा मेरा नसीब तो देखिये, कब तक तकलीफ चलती है. ____ वह महान योगी पुरुष थे. अन्तर्हृदय में एक भावना आ गई. आने वाले का पुण्य होगा तब अन्दर भाव आयेंगे, आप यह मत समझना कि आप आयें और मुझे वन्दन करें. साध
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