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: गुरुवाणी
जाइये, श्रम करते चले जाइये. श्रम के बाद कभी भी शान्ति मिलने वाली नहीं. इससे नया संघर्ष पैदा होगा.
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जितना आप मन को सन्तोष देने का प्रयास करेंगे आपका संघर्ष बढ़ता जाएगा, परमात्मा की आज्ञा के अनुसार, उनके मार्गदशन के अनुसार यदि हम साधना करते हैं. चित्त में विश्रान्ति मिलेगी. समाधि मिलेगी, और जगत की वासना को पूर्ण विराम मिल जायेगा. वासना का द्वार ही बन्द हो जायेगा. उस का रूपान्तरण हो जायेगा. वह सद्भावना बन जायेगी. उस परमाणु में परिवर्तन आ जायेगा. विचार में क्रान्ति आ जायेगी. वह विचार वीतरागता तक की यात्रा में आपको सहयोग देने वाला बन जायेगा. मेरा तात्पर्य यही बताने का था.
सर्वप्रथम जिनेश्वर देव की आज्ञा को शिरोधार्य करके मुझे अपनी यात्रा में आगे बढ़ना हैं, लक्ष्य की तरफ चलना है. कहां रुकावट आती हैं, उसका आप विचार कर लीजिये. हमारे यहां मोक्ष तक की यात्रा में जो राजमार्ग बतलाया है, वह है- 'सम्यग्दर्शन सम्यग् ज्ञान सम्यग् चारित्राणि मोक्षमार्गः
जैन परम्परा में महावीर जैसे सर्वज्ञ द्वारा निर्दिष्ट यह मार्ग दर्शन हैं. यह परिपूर्ण मार्ग-दर्शन है, जहां सम्यक् प्रधान होगा, उन विचारों को अपने आचार से प्रकट किया जायेगा और जहां से दर्शन, ज्ञान और चरित्र का त्रिवेणी संगम होगा वहीं पर यात्रा को पूर्ण विराम मिलेगा. हम लक्ष्य की प्राप्ति कर पाएंगे. हमारी जीवन यात्रा वहीं पर पूर्ण होगी और यही मोक्ष का राज मार्ग है.
प्रथम उपाय बतलाया, सम्यग्दर्शन, परिपूर्ण विश्वास डॉक्टर पर हमारा विश्वास, आप्रेशन करवाने जाते हैं. पूर्ण विश्वास लेकर जाते हैं और मन में ज़रा शंका सी रहती है, कि वहां से अपने प्राण लेकर के लौटूंगा या नहीं. इस पूर्ण विश्वास के साथ हम आप्रेशन करवाते हैं कि हमें नया जीवन मिलेगा. व्यापार करते हैं, लाखों करोड़ों रुपये की पूंजी लगाते हैं और इसे करते हैं पूर्ण विश्वास के साथ कि जरा भी नुकसान न होगा. मुझे लाभ मिलेगा, लाभ की आशा को लेकर लाखों रुपये का खतरा उठाते हैं.
व्यापार विश्वास पर चलता है. शरीर का आरोग्य विश्वास पर मिलता है. कोई मुकदमा चलता है तो वकील पर विश्वास कि जरूर इसमें सफलता दिलाएगा. इस प्रकार सारा जगत आपका विश्वास के बल चल रहा है. अगर जरा भी अविश्वास आ जाए तो लाखों करोड़ों का यह लेन-देन, आपका यह व्यवहार-रुक जाये. हमारे लिए जीवन जीना मुश्किल हो जाये. बाजार में चलते हैं पूरे विश्वास के साथ घर से बाहर निकलते हैं और सड़क पर चलते हैं, इस विश्वास के साथ कि कोई दुर्घटना नहीं होगी. रेलगाड़ी में वायुयान में मुसाफिरी करते हैं पूर्ण विश्वास के साथ कि जरा भी यहां दुर्घटना की संभावना नहीं है. मैं सुरक्षित पहुंच जाऊंगा. संसार के हरेक कार्य में आप विश्वास लेकर चलते हैं. तो फिर मोक्ष मार्ग में यह अविश्वास क्यों ?
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