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-गुरुवाणी:
डाक्टर कहेगा – भाई, तुम्हारा नसीब. मेरा प्रयत्न और तुम्हारा भाग्य. कोई गारण्टी देने वाला नहीं. पर कितने विश्वास के साथ आप्रेशन होता है. मौत को हथेली में लेकर जाते हैं. कितनी निष्ठा, कितना आत्मविश्वास कि जरूर मैं यहां से सफल होकर लौटुंगा. मेरा आप्रेशन सफल होगा. मैं नया जीवन लेकर के आऊंगा.
कभी प्रभु के मन्दिर में इस प्रकार विश्वास के साथ गए या सन्तों का आशीर्वाद लेने गए. इस भूमिका पर गए होंगे या नहीं होंगे उसमें तर्क करते हैं. डाक्टर यदि कहे कि नहीं दिन में तीन बार यही कैप्सल लेना. यह इन्जेक्शन लेकर ही खाना खाना, नहीं तो मर जाओगे. परहेज रखना, कभी हलवा पूरी खाना मत. क्या उस समय आप तर्क करते हैं कि डाक्टर साहब, यह क्या एक ही दवा दिन में तीन बार लें. रोज इन्जेक्शन लें. ये सब क्या है? वहां कोई तर्क नहीं. परन्तु आप हमारे पास अवश्य तर्क करेंगे कि महाराज, मन्दिर नित्य जाना चाहिए, रोज एक माला गिननी चाहिए, रोज उपवास करना चाहिए. आपकी परमात्मा के कार्य में बड़ा झंझट लगता है. ___ डाक्टर शरणं पव्वज्जामि. डाक्टर ने जो कहा वह ब्रह्म वाक्य, साधू शरणं पव्वज्जामि नहीं. डाक्टर ने जो कहा, वह स्वीकार्य, उसमें कोई तर्क नहीं और यदि तर्क करें तो वहां चलेगा. हमारे पास कई आदमी कहते हैं – महाराज! कहां तक यह धर्म करना चाहिए. रोज माला, तप, प्रार्थना करें कि महाराज इससे कभी छुटकारा होगा? यह क्या रोज़ का लफड़ा है?
बीमार पड़ जाएं और ऐसी भयंकर बीमारी हो तो डाक्टर क्या कहेगा. अगर तुम को जीना है तो यह इन्जेक्शन रोज लेना होगा, यह दवा रोज़ लेनी होगी. मरना है तो छोड़ दो. यहां भी ज्ञानियों ने कहा कि हममें यह यावत् जीवन की बीमारी है. संसार स्वयं एक बीमारी है शरीर भी एक बीमारी का प्रकार है. विचार भी एक प्रकार की बीमारी है, जहां तक बीमारी है , वहां तक तो दवा लेनी होगी इससे आराम मिलेगा, और जी सकोगे. अगर मरना है तो छोड़ दो. दवा तो हम छोड़ते नहीं, धर्म छोड़ने को तैयार हैं.
क्रिया, अनुष्ठान, जप, तप आदि में कोई रुचि नहीं है. शरीर को बचाने के लिए लाख प्रयास करेंगे. पर आत्मा की सुरक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं किया क्योंकि शरीर का लक्ष्य है और आत्मा का कोई लक्ष्य नहीं है. हमने कोई आचार की बाड़ नहीं बनाई कि जिससे हमारा जीवन हमारी सारी धार्मिक भावनाएं सुरक्षित रहें. डाक्टर के पास हम कभी तर्क नहीं करते और आत्मा के सम्बन्ध में हम तर्क करते हैं.
एक बार बीमार मफतलाल बम्बई गए. किसी व्यक्ति ने कहा - बड़ा एक्सपर्ट डाक्टर है, जरा आप दिखा दें. अवस्था के भी कई कारण होते हैं. वह मन से भी अवस्था के कारण दुर्बल थे. शरीर में बुढ़ापा आया परन्तु मन भी बूढ़ा हो गया, घबरा गया. उन्होंने डाक्टरों के पास समय लिया. जाकर के डॉक्टर को निवेदन किया कि मैं बहुत दूर से आया हूं. पांच सौ रुपया आपकी फीस देकर आपका समय लिया है.
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