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- गुरुवाणी
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साहब वहां पहुंचे पास में गए और पूछा, बेटा! यह क्या हो गया. आंख खोल कर के देखता है तो कहता है कि सेठ साहब! मैंने आपके पैसे मुट्ठी में रखे, लौटाने के लिए आ रहा था, मुझे पता नहीं वे पैसे किसके पास गए, कहां गए मुझे मालूम नहीं, मुझे माफ कर देना.
इतनी घायल अवस्था में वह बालक कहता है मुझे क्षमा कीजिए, मैं आपको लौटाने के लिए आ रहा था. मेरी मां के लिए दवा का पैसा तो मेरे पाकेट में है. सेठ ने कहा कि मैं पैसे के लिए नहीं आया. मैं कोई मांगने के लिए नहीं आया - तेरी भावना देखकर के मैं आया हूं. बालक ने कहा कि आप मेरी चिन्ता न करें. यदि आपको मेरी चिन्ता है तो आप मेरी मां के लिए चिन्ता कीजिए. मेरे लिए मेरी मां मेरा सर्वस्व है.
कैसी हृदय की भावना, यह परोपकार की वृत्ति, मां की सेवा की आंतरिक-रुचि सारे अशुभ कर्म का निवारण कर देती है. सेठ को कोई संतान नहीं थी, वह करोड़पति सेठ थे. सेठ ने निर्णय कर लिया कि यह बालक मैं लूंगा. इसका लालन-पालन मैं करूंगा. परमपिता के रूप में मैं इसका पालन करूंगा और इसकी मां की जैसी भावना होगी, उसके लिए सारी व्यवस्था में स्वयं कर दूंगा. डाक्टर से प्राइवेट में कह दिया कि इसका सबसे सुन्दर ईलाज होना चाहिए. बालक बच गया. उसकी मां को बुलाकर के कहा कि जहां तुमको रहना हो, मकान बनवा देता हूं, नौकरानी रख देता हूं. तुम जैसे चाहे रहो - तुम्हारा मासिक खर्च मैं दे दूंगा अगर यह बालक मुझे दे दो. जो बालक मरते समय भी अपनी मां का विचार करता है. मेरे लिए तो यह बालक कोहिनूर हीरा सदृश है. यह बालक मेरे घर पर रहेगा. इसे पढ़ाऊंगा, इसे तैयार करूंगा और मेरी सारी संपत्ति मैं इसके नाम करूंगा. ___ग्यारह वर्ष का बालक और उसके अन्दर भी यह परोपकार की भावना. मैं भूखा रहूं, मेरी मां को दवा लाकर के दो. कैसी प्रामाणिकता. सौ का नोट मिला तो भी मना कर दिया. ज़रा भी प्रलोभन उसे आकर्षित नहीं कर सका. ऐसी भावना, ऐसी दृढ़ता परोपकार में आपके अन्दर आनी चाहिए.
जब ग्यारह वर्ष का निर्दोष बालक अपने अन्दर यह भावना पैदा कर सकता है. तो हमारे पास दुनियाभर का अनुभव है, उम्र की दृष्टि से बहुत बड़ा अनुभव है, तो हमारे अन्दर यह भावना क्यों नहीं आती और जिस दिन यह भावना अपने अन्दर आ जाएगी आप याद रखिए, सूत्रकार ने लिखा है -
यह सद्भावना पाप का प्रतिकार कर देती है और यदि यह भावना आंधी का रूप ले ले, तूफान बन जाए. मन के अन्दर आन्दोलन शुरू कर दे, मूवमेंट शुरू कर दे - एक क्षण के अन्दर पाप का पलायन हो जाएगा. उस आंधी से सारे पाप के परमाणु उड़ जाएंगे. इसीलिए इसको यहां महत्त्व दिया गया. सारी दयालुता का आधार इसको माना गया. परोपकार के द्वारा व्यक्ति अपनी करुणा को सक्रिय बनाता है. अपने विचार को
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