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गुरुवाणी
दवा नहीं दी. घर पर नहीं गया, मां अलग चिन्ता करती होगी. उसका बुखार भी अधिक बढ़ा है और मेरा कैसा पाप कि मां की सेवा से मैं वंचित हूं. कितने सुन्दर विचार हैं टोकरी ले कर के बैठा है, प्रतीक्षा में, कोई आ जाए और दो पैसा भी इसमें अन्दर मिल जाए तो बड़ी प्रसन्नता से मैं मां की सेवा करूं. उसकी भावना इतनी सुन्दर थी. कोई व्यक्ति नजर नहीं आया. एक श्रावक भाई आए, गाड़ी से नीचे उतरे. सम्पन्न व्यक्ति थे. बालक ने जाकर उनका पांव पकड़ लिया. पांव पकड़ते ही वह सेठ कहने लगा कि बेटा यह क्या है, क्या कर रहे हो?
और कुछ नहीं, मेरी एक प्रार्थना है, मेरी मां बहुत बीमार है. दवा के लिए मेरे पास पैसा नहीं. मां को लाकर दूध पिलाने के लिए पैसा नहीं. मेरे घर पर आज मेरे पिता मौजूद नहीं. मुझ कमजोर शरीर पर इतना बड़ा उत्तरदायित्व, इतना बड़ा भार आ पड़ा है. मैं आपसे दान अथवा भीख नहीं मांगता, मैं आम लेकर आया हूं. दिन के बारह बज गए और अभी तक किसी ने भी नही खरीदा, मैं खाऊं या न खाऊं, मुझे मेरे पेट की चिन्ता नहीं. आप यह आम ले लीजिए. पैसा मिल जाएगा और उस पैसे से मेरी मां के लिए मैं दवा खरीद सकूँगा.
उसके हृदय का भाव देखकर सेठ का हृदय पिघल गया. उन्होंने तुरन्त सौ का नोट निकाला और बालक को दिया. आम गाड़ी में रख दो और यह सौ का नोट ले जाओ. नहीं-नहीं मेरे सौ रुपए नहीं होते. इतना तो आम नहीं. बाकी रुपए आप वापिस ले लीजिए. मुझे तो बस केवल अपनी मजदूरी के पैसे चाहिए.
उस बालक के लिए कितना बड़ा प्रलोभन और ऐसी परिस्थिति में भी उसके विचार की कैसी दृढ़ता? कहता है, नहीं-नहीं. सेठ ने कहा- मेरे पास रेजगारी नहीं है, सामने दुकान से लाकर के ड्राइवर को दे देना. सौ का नोट लेकर के सामने एक पान वाले की दुकान पर गया, वहां छुट्टा करवाया. अपना पैसा, जो नफा-मजदूरी का था, ले लिया और बाकी पैसा मुट्ठी में ले कर के और रास्ता पार करके आता है तो गाडी दुर्घटना ग्रस्त हो जाती है.
बालक गिर गया और पूरा माथा उसका फट गया. उठाकर के उसको तुरन्त अस्पताल ले गया, वहां बेहोशी की अवस्था में भी हृदय के विचार उसके शब्दों से प्रकट हो रहे हैं. मेरी मां के लिए - मेरी मां के लिए. मां के सिवा कोई दूसरा शब्द ही नहीं आ रहा था. मेरी मां क्या करती होगी. डाक्टरों ने आश्वासन दिया. - जैसे ही सेठ नीचे उतरे और पूछा कि लड़का आया था.
ड्राइवर ने कहा. वह आ रहा था और गाड़ी से दुर्घटनाग्रस्त हो गया. कहां है? वह अस्पताल में पुलिस वाले ले गये. उसकी मानवता देखिए. पुलिस से पूछताछ की कि बालक जो दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, किस अस्पताल में है. वे स्वयं वहां गाड़ी लेकर के गए. डाक्टरों ने बहुत प्रयत्न करके उसको बचा लिया. उसको भान (होश) आया. भान आते ही, सेठ ।
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