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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी आएगी. मोक्ष में दीवार तो रुकावट पैदा करेगी. दिल को दरवाजा बना लीजिए, दीवार मत बनाइये. ब्रह्मा जी ने एक समान दृष्टि से सबको आयुष्य दिया, बड़ी सुन्दर कल्पना है. इन्सान आया चालीस वर्ष का आयुष्य दे दिया. गाय बैल आए उनको भी चालीस वर्ष का आयुष्य दे दिया. कुत्ते आए उनको भी चालीस वर्ष दे दिया. सबको एक समान आयुष्य दिया. बैलों ने विचार किया कि बड़ा अन्याय हो गया. उनकी बहुत बड़ी सभा हुई. ब्रह्मा जी के पास बैलों ने पुकार की. यह कलियुग है. इन्सान निर्दयी है. हमसे बहुत मजदूरी करायेगा. जब शरीर की शक्ति क्षीण हो जाएगी, कसाई के हाथ बेच देगा. बड़ी बुरी मौत होगी. हमें इतना लम्बा आयुष्य इस काल में नहीं चाहिए. भगवन्! हमारे आयुष्य को आप घटा दीजिए. यही प्रार्थना लेकर हम आए हैं. ब्रह्मा जी ने कहा, यहां सबको समान आयुष्य वितरित किया गया. यहां दिया जाता है वापिस नहीं लिया जाता. जो चीज दे दी गई वापिस नहीं ली जाती. तुम्हारा आग्रह है तो ट्रांसफर हो सकता है, रिटर्न नहीं. इन्सान खडा था. आप जानते हैं, इन्सान की हर जगह मांगने की आदत. भगवान के द्वार गया तो भी याचना, गुरुद्वारा गया तो भी याचना, मस्जिद में गया तो भी याचना. मुझे कुछ मिल जाए. आप मांगना बन्द कर दीजिए, आपको सब कुछ मिल जाएगा. वे सब जानते हैं और वे अनन्त ज्ञानी हैं. आप जिस भावना से आए हैं वह परमात्मा और गुरुजन सब जानते हैं. कहने की ज़रूरत नहीं. मांगना एक प्रकार का अविश्वास है जो देने ही वाला है, वहां मांगना क्या? घर में थाली लेकर बैठे, मां रोटी डालने ही वाली है, मांग करके क्या करोगे? मांगना तो मां के प्रति अविश्वास है. परमात्मा के द्वार पर गए, गुरुजनों के पास गए, गुरुद्वारे में गए तो वे अन्तर्दृष्टि से सब कुछ जान लेते हैं और बिना मागे सब कुछ मिल जाता है. हमारी आदत, तिरुपति से लेकर वैष्णवी देवी तक लाइन लग जाती है. हम आत्म कल्याण के उद्देश्य से नहीं जाते, बस सिर्फ इसलिए कि कुछ मिल जाए. कहां तक दरिद्र बनके रहेंगे. सम्राट् बनिए. कहां तक याचना करेंगे, समर्पण भाव लाइये. दरिद्रता से ही मानव का पतन हुआ है. मांग-मांग करके इकट्ठा करेंगे आखिर तो छोड़ कर के जाना है. मौज-मज़ा तो दूसरे करेंगे. गलत तरीके से उपार्जन करने से सजा आपको मिलेगी और मजा लड़के करेंगे. ___मैं राजस्थान से विहार करके आ रहा था. गर्मी के दिन थे. सुबह धूप निकली हुई थी. गांव के लोग जुलाहे थे. मैं गांव के किनारे से जा रहा था तो एक माचा (पलंग) पड़ा था. लकड़ी लेकर जोर-जोर से उस माचे को मार रहा था. मैंने कहा यह क्या तमाशा है. उससे पूछा कि इसे क्यों मार रहे हो? ___ महाराज क्या बतलाएं! पूरी रात खटमलों ने मेरे प्राण ले लिए, खून चूस लिया. 91 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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