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गुरुवाणी
परिणाम है. यह सारा पुण्य कार्य उस महापुरुष की कृपा की ही परिणति है और मैंने तो जो पुण्य का फल था, वह भी गुरुचरणों में अर्पित कर दिया. भगवन्, मुझे कुछ नहीं चाहिए.
वह बड़े विचार में पड़ गया. जो सम्मान करना था, रेलवे ने किया. मुझे तो आपसे बस इतना ही कहना था कि वह एक रात्रि का संत परिचय और कितना बड़ा जीवन का परिवर्तन. यहां एक सौ बीस दिन, चार महीने का मेरा आपका परिचय होगा और मैं देखता हूं कि कितना परिवर्तन आता है?
मुझे और कुछ नहीं चाहिए, प्रवचन के द्वारा आपके जीवन का परिवर्तन चाहिए. आप अपनी पवित्रता प्राप्त करें. अपने आचरण में सक्रिय बनें. अपने धर्म को क्रियात्मक रूप दें. जीवन में ऐसे सक्रिय बनें कि जीवन का सुगन्ध दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाये. लोग आपके गणों से आकर्षित हों. आपके कार्य से उस आत्मा को प्रेरणा मिले. मैं केवल आपसे यही चाहता हूं, और मेरी कोई अपेक्षा नहीं. मुझे पैसा नहीं चाहिए, आपकी पवित्रता चाहिए. पैसे से कोई मतलब नहीं, वह भौतिक सम्पदा है. मैं तो आपकी आत्मा की तरफ देखता हूं कि आपकी आत्मा के गुण विकसित हों और आगे भविष्य में चलकर के आपकी आत्मा परमात्मा के लिए प्रिय बने. अन्दर का द्वार खुल जाए, भेद की दीवार टूट जाए. जगत् के साथ मैत्री और प्रेम का संबंध कायम हो जाए. जो कृष्ण का वाक्य है, वह हमारे जीवन में साकार बन जाय
वसुधैव कुटुम्बकम् सारा जगत्, प्राणिमात्र मेरा कुटुम्ब है. सभी मेरे परिवार के सदस्य हैं - हृदय की यह भावना विकसित होनी चाहिए और वह मैं देखना चाहता हूं. आज की जो परिस्थिति है, उस पर मैंने अभी विचार नहीं किया. आगे इस पर विचार करेंगे कि कैसी दर्दनाक आज की परिस्थिति है. कितना खतरा है, इंसान को इंसान से. कैसी परिस्थिति में हम जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
सारा संसार अराजकता से घिरा हुआ है. हर व्यक्ति दुःख और दर्द से पीड़ित है. किसी भी आत्मा के चेहरे पर प्रसन्नता नहीं है. चित्त की प्रसन्नता का यह दुष्काल कैसे आया? हमारे चारित्र्य में यह कलंक कैसे लगा? हमारे आचरण में यह निष्क्रियता कैसे आयी? इन सारी बातों पर आगे विचार करेंगे कि इसका उपचार कैसे किया जाए. यह भयंकर बीमारी है. इससे बचने का उपाय कैसे खोजा जाए.
ध्यान की प्रक्रिया में आपको मैं बताऊंगा कि ध्यान कैसे करना, जाप कैसे करना. बहुत सारे व्यक्तियों को मालूम नहीं कि ध्यान अथवा जाप कैसे करना चाहिए. इसके अन्दर क्या करना चाहिए.
अगर मन स्थिर नहीं रहता है, चंचल रहता है तो ध्यान की थोड़ी-सी भूमिका आपको समझा दूं कि कैसे करें. कई बार लोग माला गिना करते हैं, गले में माला पड़ी रहती
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