________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
वर्ष
१९३९-४०
१९५१-५२
१९५५-५६
www.kobatirth.org
१९५३-५४
१९५४-५५
१९५५-५६
वर्ष
ઢ
मूल्य- रुपयों में
८०,८६,०००
६, ३५, ७८००० ९१,१९,८७०००
गायों, बैल, भैंस, बकरी आदि सब पशुओं को चरने के लिये गाँव-गाँव में गोचर भूमि रहती थी उसको भी जोत देने से आज पशु भूखों मर रहे हैं । तथा चारे और दाने की देशमें सख्त कमी हो रही हैं । फिर भी विदेशी मुद्रा प्राप्ति के पिछे पागल बनी हुई सरकार किस प्रकार चारा दाना खली विदेशे में भेज रही है सेा देखिये
वर्ष
चारा-दाना, वजन टनों में
७६४
२५१२६ ६८, ७२५
खली, वजन टनों में
वजन - टनों में
६५९४
२६,७३८ ४८,९२१
६११९
३९३९७
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दूध, घी, मखन, दही तथा छाछ आदि से गोबर खाद आदि से
पशुओं के स्वाभाविक मृत्यु से प्राप्त
१९५३-५४
८,१२,७९४
१९५४-५५
१,४७,९६.५१९
१९५५-५६
१,६२,७०२
५,३०,१०,२१४
जीवित गो वंश से प्रत्येक वर्ष में अपार आमदनी होने के सम्बन्ध में कृषि निष्णात मि० ओलीवरका मत
खेती का काम करने से बैलों द्वारा प्रति वर्ष आय रु० ६१२ करोड
आय रु०८१० करोड आय रु० २७० करोड
भूम्य रुपयों में
२,३३,९९१ ५.१०,६६३
For Private And Personal Use Only
१६७,०१, १ब०
मूल्य रुपयों में
चमडा हड्डी आदि से आय रु० ५५५ करोड
जोड़ रु० १९०८,५