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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संख्या में बच होती है और गाय बैल कटते कटते अब केवल १५ करोड की संख्या में बच पाये है। प्रति वर्ष प्रायः एक करोड की पाये है । प्रति बर्ष प्रायः एक करोड की कतल उनके मांस, हड्डी, चमडा, खून, आंतें आदि विदेशों में भेजे जाते है । सरकारी रिपोर्ट के अनुसार सन् १९५५-१६ में गाय और बछडा - बछडी की खालें ८०,७०,००० विदेशों में मेजी गई थी और भारत में बाटा तथा फ्लेक्स के जूतों के कारखानों में ३०,००,००० खालें काम में लाई गई थी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत में बडे बडे २१ बंदरगाह है उसमें बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रास बंदरों से ही सन् १९५२ के जुलाई से सन् १९५३ के जून तक ५६,३८,००० रुपयों के मूल्य का गायों बलों का मांस आंते, जीभ आदि विदेशों में भेजे गये थे । गायों तथा बछडों की कत्ल से नीचे लिखे अनुसार खाले' विदेशों में भेजी गई थी १९५१-५२ ४५,६७,०८० १८,५३,०४४ सन् १९४६-४७ १९५५-५६ गायों की खाल - ६२५,००० ५३,९२,७३८ बछड़ों की खाल - १,२०,००० २६,७७,६२५ जोड़ - ७,४५,००० ६४,२०,१२४ ८०,७०,३६३ गौवध के कारण और वारे दाने की योग्य व्यवस्था न होने के कारण सरकारी रिपोर्ट के ही अनुसार सात वर्ष के अन्दर २,७१,८९,६९४ मन गाय का दूध कम हो गया। अतः सरकार ने नीचे लिखे अनुसार विदेशों से पाउडर, मखन, घी, पनीर आदि आयात किया : For Private And Personal Use Only
SR No.008709
Book TitleDevnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri, Narayan Sangani
PublisherDevnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee
Publication Year1963
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size4 MB
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