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चरबी, जीभ तथा आंते' आदि अङ्ग उपाङ्गो के पार से करेडे। रुपया पैदा हो सके ऐसी विनाशक भयंकर रोमांचकारी योजना तैयार की हैं उसके प्रति घोर घृणा पव तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से देखती है और उसका तीव्र विरोध करती है।
यह सभा भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकारका ध्यान उस ओर आकृष्ट करना चाहती है कि भारतीय प्रजा गायों, बैलों तथा भैसो आदि प्राणी केवल दूध, दही, घी, मक्खन, मट्ठा और गोबर देने वाले तथा अनाज उत्पन्न कर लोगों को जीवन प्रदान करने वाले है, इतना ही नहीं किन्तु गायों का सर्वदेवमयी विश्व की जननी और वृषभ को पिता समान देव तथा इतर जीवेंा को अपनी आत्मा के समान मानती है । भारत सरकार भी ऐसी उच्चतम भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यता के कारण अहिंसा और पंचशील के सिद्धान्तों को स्वीकार कर गर्व का अनुभव करती है । फिर भी सरकार अपने निश्चित ध्येय और शासन विधान का अनादर कर पेसे भयकर कतलखाना खड़ा कर घार हिंसा द्वारा अहिंसाप्रिय सहिष्णुलेोगों के हृदय का भय कर. आघात पहुंचा रही है यह अत्यंत खेद एवं लज्जाका विषय है
गायो, बला तथा अन्य उपयोगी प्राणियों का बध कानून द्वारा सर्वथा बन्द करें ऐसी आग्रह पूर्ण मांग आज अनेक वर्षों से प्रजा करती आ रही है, उस मांग को स्वीकार करने के बजाय सरकार कुछ बचे बचाये गायों बैलों का भी सर्वथा संहार हो जाय ऐसा मार्ग ग्रहण कर रही है, जिसमें भारत और भारत की प्रजा उन जीवों के आधार से जीवित रह सकी है वह मी नि:सन्देह समाप्त हो जायगी । ऐसी भीषण परिस्थितिमें गायों बैलों को धार्मिक दृष्टि से पूज्य मानने वाली भारत की चालीस करोड हिन्दू जनता ऐसे मयंकर हिंसाजन्य कृत्य को देखकर
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