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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 5 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९ उत्पन्न कीए हैं, वे - वनस्पती और अनाज तुम खाओ । yo स्वयं मुहम्मद पैगंबर साहब एकबार जब नदी में स्नान कर रहे थे तब उसमें डूबते हुए एक विच्छुके। उन्होने बचाया था । बिच्छु के बारंबार डंक देने पर भी उसे नदी में से बाहर निकाल ही दिया, जब उनके शिष्यों में से एकने कहा कि, "जब यह बिच्छु बारबार आपके हाथमें डंक मार रहा है, तो इसे डूबने ही दिजीये" तव पैग बर साहबने यही कहा कि, "यह यशु होते हुए भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता हैं, तब हम तो मानव हैं, अपना सहज स्वभाव जा दयालुता का है वह क्यें। छोडे । "" मानवका मन आज विकृत बन गया है, महापुरुषोंके वचनोंका मनमानी अर्थ करके विश्वमें अशांति को बढावा देरहा है । तभीता आज हम सब दुःखी हैं ? महम्मद पैंगबर साहब इ. स. ५७० में जन्मे थे, ६०२ में अपना मत चलाया, और कुरान की रचना की कुरानकी सरी-अन-आम में लिखा है “कि खून, सूअर का - मांस, मौत से मरे हुए का मांस, मूर्ति के आगे बली दीप हुए पशुओंका मांस घात करके मारे हुए प्राणी का मांस, कोई दूसरे प्राणी द्वारा वध किए हुए का मांस नहीं खाना ।” 7 कुरान के सुराउलमायद, सिपार ४ मंजल २ आयात ३ में लिखा है- " मक्का के हृदमें कोई किसी जानवर का शिकार नहीं करें, कोई भूल से शिकार करे तो उसे अपना जानवर वहां दे देना चाहिये, अथवा उसकी किस्मत लेकर गरीबों को खिला देना चाहिये । "" इससे स्पष्ट होगया होगा कि मुश्लिम मजहब में भी मांस से परहेज रखने की आज्ञा दी गई है । For Private And Personal Use Only
SR No.008709
Book TitleDevnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri, Narayan Sangani
PublisherDevnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee
Publication Year1963
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size4 MB
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