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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिसके कारण उन्हें काफी चोट लगी, फिर भी अपकारी के प्रति उपकार दृष्टि रखते हुए, बुद्धने उस पर दया की और अन्य शिष्यों को समझाकर, देवदत्त का मरने से बचाया। पीटक, जातक आदि बौद्ध ग्रन्थो में ऐसे बहुत से दयालुताके उदाहरण पाये जाते हैं। दयालुता के विषय में एक लेखकने यहां तक लिखा है कि-" Peradise is open to all kind hearts" " दयालु आत्मा के लिए स्वर्गका दरवाजा सदा खुला रहता है।" इस्लाम W । मुशलमान ईश्वरको रहीमान कहते हैं, इसका अर्थ है दयालु, इनके मजहब में ४० दिन की एक धर्मक्रिया होती है, जिसको "सिल्ला" कहते हैं । सिल्लामें बैठने वाले व्यक्ति किसी भी प्रकारका मांस नहीं खाते, उसका कारण यह है कि मांस (नजीस) खराब पदार्थ होनेसे खुदाकी बंदगी में खलल पहुंचाता है।" "जब वे लोग (सालेसरीअन) में से (तरकीत ) में प्रवेश करते हैं तव वे तुरत मांस का त्याग करदेते हैं ।" “पैगंबर हजरत महम्मदनबी साहब ने एक स्थान पर लिखा है कि"फलातज अलुबूतु तकुम मकाबरल हयवानात" अर्थात्-तू पशुपक्षीयोका कबर अपने पेटमें मत करना । 4 कुराने शरीफके सुरा अन आम, आयात-१४२में खुदाने कहाहै कि-बमिनल अन बामे हमूलवत वफर्शा कुल मिम्मा रजक कुमुल्ला हो" अर्थात्-" अल्लाहने चोपगे जानवर सामान ढाने के लिए पैदा किए है, और वनस्पती व अनाज खाने के लिए For Private And Personal Use Only
SR No.008709
Book TitleDevnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri, Narayan Sangani
PublisherDevnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee
Publication Year1963
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size4 MB
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