SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरु-प्रवचन क्या है? “ धर्म गुरु कोई मनोरंजक कथा कहने वाले कथाकार नही, जो तुम्हें हर तरह की मनोरंजक कथाएं कह-कह कर खुश रखे, वो तो आपके कल्याणार्थ आपको तात्त्विक बात समझाने के लिये उदाहरण के तौर पर कथाएं सुनाते गुरु तो तुम्हारे हृदय को धर्म से वांछित करने के लिये ही हर प्रयत्न करते हैं। प्रवचन भी उसमें से एक सशक्त तरीका हैं, पर तुम अपना हृदय ही घर रख कर उनके पास जाओ तो, वह कैसे संभव है अगर गुरु-उपदेश को हृदय पूर्वक श्रवण किया जाये तो, हृदय धर्म युक्त अवश्य बनेगा। आपके लिये धर्म करना सरल हो जायेगा। हृदय परिवर्तन नहीं हो पाता, यही दुविधा है। तभी हमें धर्म करने में ही अपार कष्ट नजर आता हैं। धर्म करने में तुम्हें, जितने कष्ट की प्रतीति होती है, उसका हजारवा भाग कष्ट भी अगर तुम धर्म के लिये वास्तव में सह लो, तो भी तुम्हारा कल्याण हो सकता हैं। " " श्रद्धावान् व्यक्ति पहले ज्ञान प्राप्त करता है और ज्ञानी बनकर जितेंन्द्रिय बनता हैं, तथा आत्म-ज्ञान प्राप्त कर परम शांति प्राप्त करता हैं। परंतु अज्ञानी एवं श्रद्धाविहीन व्यक्ति का संशय में रहने से नाश हो जाता हैं, संशय-युक्त व्यक्ति के लिये यह लोक व परलोक दोनों में सुख दुर्लभ 47 For Private And Personal Use Only
SR No.008706
Book TitleBikhre Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1994
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy