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__“ दुःान का सेवन जिज्ञासावश भी न करें क्योंकि दुःान सेवन से तो स्वयं का पतन ही होगा।"
“ निष्फल श्रोता मूढ़ यदि, वक्ता वचन विलास। हाव भाव ज्यू नारी करे, अंध पति के पास" ।।
"बडा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड खजूर । पंथी को छाया नही, फल लागे अति दूर।।"
देवालय टूट कर खंडहर बन सकते है। गिर कर समय के साथ नष्ट हो सकते हैं, लेकिन उत्तम ज्ञान और सविचार कभी नष्ट नहीं होते।
“समझदारी इसमें है कि हाथ में आए काम को समग्र मनोयोग से तत्परता पूर्वक निपटाया जाय। काम को सही तरह से निपटाना भविष्य में बडा काम कर सकने की सफलता उपलब्ध करना है।"
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