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• सच्चा विवेक इसमें है कि हम सर्वोत्तम जानने लायक जाने और सर्वोत्तम करने
लायक करें। - हम्फरी जो विवेक से काम लेता है, वह ईश्वर विषयक ज्ञान से काम लेता है । -एपिक्टेटस भावुकता एक क्षणिक वेग है, तूफान है, बाढ हैं, जबकि विवेक सतत प्रवाह है। विवेक को किसीने बुद्धि और भावना को समन्वित करने का साधन माना है तो किसीने विवेक को आधार बनाकर सर्वोत्तम उपलब्धि को प्राप्त करने का संकेत दिया है। किसीने तो विवेक को ईश्वर के प्रति ज्ञान भाव से ही उसे जोड़ दिया है और विवेक में सतत प्रवाह मानवता के तत्व भी खोजे गये हैं । इस प्रकार विवेक व्यक्ति में तर्क सम्मतता लाता है । विवेक कभी-कभी तर्कातीत जानकारियों को भी बटोरता है। विवेक की जितनी अधिक जागृति होगी समझ की आवृत्ति उतनी ही स्पष्ट होगी।
विवेक कहे या अविवेक, प्रत्येक व्यक्ति इनमें से किसी एक को तो चुनता ही है । जरूरी नहीं कि वह एक का ही दामन थामें रहे । वह चाहे तो एक पल विवेक, एक पल अविवेक की स्थिति में रम सकता है। इसका सीधा अर्थ यह भी है कि जन्म भर अविवेक में रमा हुआ व्यक्ति भी अंतिम सांस में विवेक धारण कर सकता है और जन्म भर विवेक से उपकृत रहा - व्यक्ति अंतिम सांस में आर्तध्यान से युक्त रह जाए तो भटक सकता है। संभावना सब प्रकार की है और संभावना को भी निरस्त नहीं करना चाहिए । विवेक एक छोटा सा बीज भी हो सकता है और विस्तृत आकार भी। विवेक को सीमा में नहीं बांधा जा सकता, पर जितना भी है विवेक, विवेक ही है और इसीलिए वह ग्राह्य है। विवेक की ग्राह्यता या अग्राह्यता, उसके आकार पर नहीं, उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है। विवेक संघर्षों में रहता है, पर वह स्वयं संघर्ष नहीं उपजाता, न ही संघर्ष को समर्थन देता है। विवेक तो अंततः प्रशांति की ही रचना करता है। एक बार और हम विवेक के प्रति विभूति कथन पर दृष्टिपात करें . • विवेक न सोना है, न चांदी है, ने शोहरत है, न दौलत है, न तन्दुरस्ती है,
न ताकत है, न खूबसूरती है अपितु विकास की आधारशिला है। - प्लुटार्क • शाश्वत का विचार ही विवेक है । - स्वामी रामतीर्थ 64 - अध्यात्म के झरोखे से
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