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आईये, कुछ विद्वद पुरूषों के जागृत विवेक पर दृष्टिपात करें -
आत्मा के लिए विवेक वैसा ही है, जैसे शरीर के लिए स्वास्थ्य |
• विवेकभ्रष्टों का सौ सौ तरह से पतन होता है । भर्तृहरि
• नेकी और बदी की पहचान के बगैर इन्सान की जिंदगी बड़ी उलझी हुई रहती है । - सिसरी
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आइये, विवेक पर ही कुछ और कथनों पर नजर डालें
• बुद्धि और भावना के समन्वय का अर्थ है - विवेक ।
• कोई भी बात हों, उसमें सत्य को झूठ से अलग कर देना ही विवेक का कम है । - तिरुवल्लुवर
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तो हमनें देखा कि मनुष्य जीवन का अपूर्व गुण है विवेक । विवेक ही आत्मा की ध्वनि सुन पाता है । उसके रहते ही पतन से बचा जा सकता है । उसके बूते पर ही व्यक्ति बदी से नेकी की ओर अग्रसर होता है । और विवेक ही वह हंस है जो दूध का दूध और पानी का पानी कर देता है। विवेक ही मनुष्य को पाप की स्थिति से उबारता है । उसे पश्चात्ताप की मुद्रा में लाता है । विवेक मनुष्य का वह कौशल है जो उसे भी
भी एक अलग व्यक्तित्व सौंपता है । विवेक वह सुरभि है, जिसकी सौरभ अनेकों को प्रेरित करने की सक्षमता रखती है। विवेक के आलोक से अंधकार में भी ज्योतिर्मयता भर जाती है। विवेक ही से उभरता है किसीके मन में किसीके प्रति गहन श्रद्धा भाव । पांव उसीके जमते हैं जो विवेक से खड़ा है । नसीब उन्हींका चमकता है जो विवेक पुरुषार्थ में जुटते हैं । विवेक से ही सत्य का जय पथ पाया जा सकता है । विवेक से ही बात अपेक्षित असर पैदा होता है । विवेक ही अंगारे भरे पथ पर भी चलने की युक्ति देता है. विवेक ही स्वच्छन्द विचारों से किसीको परे रखता है । विवेक व्यर्थ के सपनों से वंचित करता है। विवेक ही आदर्श घड़ता है और उसीके बल पर उसे पाया जाता है। विवेक ही निराशा की गति से निकालकर उत्साह का वातावरण सौंपता है ।
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रोची
विनोबा
मनुष्य विवेक से चले, विवेक से बढ़े - 63
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