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४. ]
मन योग
यण ने सुथार को स्लेट पेंसिल दी। सुथार ने उस पर कुछ अक्षरों की प्राकृति बना दी। लिखा था "पागा खां पैलेस में ।" श्री मन्नारायण पूना गये और यह जानकर प्रसन्न हुए कि गांधीजी सचमुच आगा खां पैलेस में नजर बद थे। सुथार की बात सच निकली। सुथार को हनुमानजी का एक मंत्र सिद्ध था।
मत्र कितने प्रकार के होते हैं और उनका क्या प्रभाव होता है ?
सिद्ध मंत्र, साधारण मंत्र और निर्बीज मंत्र : ये जाप से सिद्ध होते हैं और दूसरों पर प्रभाव करने वाले होते हैं।
सात्विक मंत्र से प्रात्मशुद्धि होती है। राजसिक मंत्र से यश एश्वर्य प्राप्त होता है और तामासिक मंत्र से उच्चारण प्रादि सिद्धियां प्राप्त होती है।
हमारा जीवन एक कारखाने जैसा है। कारखाना चलाने में दो व्यक्ति मुख्य होते हैं, मालिक और संचालक । इन दोनों में अधिक उत्तरदायी कौन ? मालिक या मैनेजर ? अधिक उत्तरदायित्व संचालक पर ही होता है क्योंकि सभी चिंताएँ उसे ही होती है। हमारा जीवन भी कारखाने जैसा है । प्रात्मा मालिक है और उसने मन रूपी मैनेजर को सारा काम सौंप दिया है। मन हमारे जीवन का संचालक है, उसकी इच्छा के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। यदि कारखाने का मैनेजर ताकतवर हो तो ज्यादा उत्पादन हो सकता है, इसीलिये उसे अधिक वेतन दिया जाता है। हमारे जीवन के संचालक मन के पास पांच कार्यकर्ता हैं, वे हैं पांच इन्द्रियां जिनका काम है सुनना, देखना, सूधना, स्पर्श करना और खाना । ये पांचों कायं मन की इच्छा के बिना नहीं चल सकते।
मन की शुभ भावना से पशु तक भी मनुष्य के मित्र बन जाते है। बलदेव मुनि रूप के सागर थे । उनके रूप को देखकर उनकी माता ने उन्हें कुए में डाल दिया था। बलदेव ने इस अनर्थ से बचकर दीक्षा ले ली और अपने रूप को धिक्कारते हुए उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे शहर में नहीं जायेंगे, जंगल में ही रहेंगे । एक हिरण उनकी शुभ भावनाओं से उनका मित्र बन गया था। गोचरी के समय यह हिरण किसी न किसी सार्थवाह को ढंढकर उसका कपड़ा मुह में लेकर खींचता हुआ जगल में ले पाता और फिर मुनि को वहां ले जाकर गोचरी (प्राहार-पानी) दिलवाता ।
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