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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मन योग www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ३६ अगाध मनुष्य स्वयं को अंतरिक्ष युग में समझता है। विज्ञान पर उसका विश्वास है, फिर भी प्रशांति है । मंत्र इस अशांति को दूर कर सकता है । मंत्रों को तेजोमय शक्ति का सम्मुचय कहते हैं । इसी प्रकार बीजाक्षर भी शांतिपुंज माने गये हैं। मंत्र मानव से परे स्थित शक्ति को जाग्रत प्रदान करते हैं। मंत्र सिद्धि का अर्थ है मंत्र को सशक्त श्रौर जाग्रत बनाना । 'मननेन त्रायतेऽसौ मंत्रः ।' पुनः पुनः उच्चारण से अथवा चिंतन मनन से रक्षण होता हो उसे मंत्र कहते हैं । मन के साथ जिन ध्वनियों का घर्षण होने से दिव्य ज्योति प्रकट होती है, उन ध्वनियों के समुदाय को मंत्र कहा जाता है । 'मन्यते विचार्यते आत्मादेशो येन स मंत्रः ।' जिसके द्वारा आत्म प्रदेश पर विचार किया जाये, वह मंत्र है । समुदाय को मंत्र कहा जाता है । मान्त्रिक सामग्री के सदुपयोग से सुन्दर मन प्राप्त होता है। तांत्रिक सामग्री के सदुपयोग से सुन्दर तन प्राप्त होता है और यांत्रिक सामग्री के सदुपयोग से अतुल धन प्राप्त होता है । मंत्र स्वीच है यन्त्र पावर है । तंत्र एनमल्ड कप है । सदभव बल्ब है । चित्त का आनन्द प्रकाश है। पावर या बटन अच्छा हो किंतु एनामल्ड कप काला हो तो चित्त को आनंद का प्रकाश नहीं मिलेगा । बटन रूपी मंत्र ही नहीं है तो अंधेरा ही रहेगा For Private And Personal Use Only मंत्र सिद्धि के तीन मार्ग है : ( १ ) इच्छा (२) श्रद्धा और (३) दृढ़ संकल्प | राजस्थान से एक सुधार गांधीजी से मिलने वर्धा प्राश्रम गया । उसे वहाँ रहने का स्थान दिया गया । ८ अगस्त १६४२ को बंबई में गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया। किसी को पता नहीं की गांधीजी को कहां रखा गया है । सारा भारत गांधीजी के विषय में जानने को उत्सुक था। उस समय श्री मन्नारायण वर्धा थे। उन्होंने उस सुथार को बुलाया और कहा "तुम मंत्र जानते हो, अपने मंत्र के बल से यह बताओ कि गांधीजी इस समय कहां हैं ? "सुथार ने कुछ क्षण तक ग्रांखें बंद कर ध्यान लगाया और मत्रोच्चारण किया। फिर प्रांखें खोल कर कहा, "दरवाजे के बाहर कुछ लिखा हुआ है । मुझे पढ़ना नहीं प्राता । श्री मन्नारा
SR No.008690
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size8 MB
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