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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir :३४ ] (महत) अरिहंत पद धर्मध्यान शुक्लध्यान पर प्रारूढ़ कर देती है । युद्ध के मैदान में सैनिक प्रागे और पीछे दोनों तरफ युद्ध करता है, शत्रु को हरा कर नया प्रदेश जीतता है और अपने स्वामी को विजयी बनाता है। इसी प्रकार ध्यान द्वारा कर्म शत्रुओं को जीत कर प्रात्मा को विजयी बनाता है। सोना जब पिघल जाता है तभी उसका जेवर घड़ा जाता है । इसी प्रकार चित्त की प्रसन्नता से स्थिरता का धाट घड़ा जाता है । स्थिरता से एकाग्रता आती हैं। एकाग्रता से सहज भाव में तन्मयता ग्राती है। तन्मयता से लय की प्राप्ति होती है और लय से लोकोत्तर परम तत्त्व की सच्ची पहिचान होती है । 'प्रातम परमातम पद पावे, जो परमातम से लय को लगावे ।' ___'अपा सो परमप्पा ' यात्मा ही तो परमात्मा है, मात्र कर्म मैल का अंतर है। कर्म मैल धुल जाये तो प्रात्मा को परमात्मा होने में क्या देरी लगती है ? आज नादयोग की बात बता रहा हूं। भ्रमरी के शरीर में जब गर्मी होने लगती है, तब वह गीली मिट्टी से अपना घर बनाती है। एक कोड़ा लाकर उस घर में डाल कर भू-भू गुजन करती है । भ्रमरी के गुजन से पेट से घिसट कर चलने वाला कीड़ा १७ दिन में आकाश में उड़ जाता है । आप आश्चर्य चकित होंगे कि एकेन्द्रिय जीव चउरिन्द्रिय कैसे बन जाता है ? सत्य तो यह है कि भ्रमरी जब अंडे देतो है तब उसकी सुरक्षा या खुराक के लिये यह कीड़ा लाया जाता है। १७ दिन सेवन के बोद अंडा फूट जाता है और भ्रमरी उड़ जाती है । कीड़ा भ्रमरी के बच्चे की खुराक बन जाता है। जैसे दही को मथने से मक्खन की प्राप्ति होती है, वैसे ही प्रभु के स्मरण से, ध्यान के मंथन से ईश्वर की ज्योति प्राप्त होती है । नादानुसंधान-पक्षी का पंख कट जाने पर जैसे वह पृथ्वी पर पड़ा रहता, इसी प्रकार अनाहत नाद से जुड़ा हुआ मन चंचलता का त्याग कर स्थिर होता है । नाद की चार अवस्था मानी गई है-(१) प्रारंभावस्था (२) घटावस्था, (३) परिचयावस्था और (४) निष्पत्यावस्था । नाद का अभ्यास करते समय हृदय में रही हुई ब्रह्म ग्रंथी का भेद For Private And Personal Use Only
SR No.008690
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size8 MB
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