SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra योग किसे कहते हैं ? www.kobatirth.org 'मोक्षेण योजनाद् योगः ' समाधि किसे कहते हैं ? 'सम्यक स्थापन समाधि' समता में स्थिर होना ही समाधि है | NDRY PONT RA Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप पूछेंगे कि योग संप्रदाय की उत्पत्ति सबसे पहले किससे हुई ? योग संप्रदाय का प्रारम्भ हिरण्यगर्भ से हुआ क्योंकि श्रीमन्नत्थुराम प्रवर्तक ने सर्वप्रथम श्री हिरण्यगर्भ को नमस्कार किया है। भगवत् गीता के अनुसार विष्णु भगवान् ने सूर्य के समक्ष योग विद्या का प्रथम प्रकाश कहा । मनु ने star को योगविद्या बताई। बहुत समय बाद यह परंपरा टूटी । कृष्ण ने फिर से इस विद्या को पुनर्जीवित किया और इसका रहस्य अर्जुन को दिया । शैव धर्मावलंबी लोग योग विद्या का मूल शंकर भगवान् से मानते है । जैन आदीश्वर भगवान् को इस विद्या का प्रथम प्रवर्तक मानते हैं, जिन्होंने इस भूमि पर संस्कृति का प्रथम प्रचार किया । vet ] १३ वर्तमान काल अत्यधिक वेग से प्रगति कर रहा है । ऐसे समय में क्या योग साधना जैसी प्राचीन पद्धति का प्रचार करना योग्य है ? वर्तमान काल में विज्ञान ने दो दुकानें खोल रखी है, रिटेल और होलसेल । रिटेल दुकान से मनुष्य जीवन की सुख सुविधा स्वास्थ्य और मनोरंजन की सामग्री खरीद सकता है। किंतु होलसेल दुकान पर तो रोग, शोक, चिंता और विनाश की सामग्री बेची जाती है । वैज्ञानिक साधनों के साथ जीवन का संघर्ष बढ़ा है । इस संघर्ष से यदि कोई रक्षा करने में समर्थ है तो वह प्राध्यात्मिक योग साधना ही है आज की परिस्थिति में जहां मनुष्य रोटी, कपड़ा, मकान के संघर्ष में जुटा हो वहां योग साधना क्या मदद कर सकती है ? योग साधना से निरोग शरीर, स्वस्थ मन और अडिग श्रात्म श्रद्धा की प्राप्ति होती है, जिससे रोटी, कपड़ा, मकान की समस्या सरलता पूर्वक हल हो सकती हैं। इसीलिये अनुभवी महापुरुषों ने योग को कल्पवृक्ष मौर चिंतामणि रत्न की उपमा दी हैं । For Private And Personal Use Only - युज् धातु४गरण.
SR No.008690
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy