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(१५)
श्री सीमन्धर पाय प्रणमीजे, समकित रयणे लहिएजी, तस आणा नित्य शिर वहीजे, जेथी कर्म खपीजेजी; महाविदेहे जिन बंदीजे, आतमगुण नंदीजेजी, ग्रह उठी नित्य नित्य जपीजे, शिवरमणी खप कीजेजी १ आनंद अर्पण जिनवर बीशे विदेहक्षेत्रे बंदोजी, सीमन्धर युगमन्धर आदि पाप तिमिरहर चंदोजी, चंद्र भुजंगम ईश्वर नेमि, आदि नाम लई नंदोजी, जिन जिन जिन इम नित्य जपंतां, हरीये भवभव फंदोजी. २
जिनवाणी गुणखाणी जाणी पीजे अमृत समाणीजी, वाणी पीतां कर्मनी हाणी आगमथी एम जाणीजी, स्याद्वाद दीप नयथी वखाणी, गणधरदेव गुंथाणीजी पालन करतां शिव निशानी बनशे केवलनाणीजी. ३
हरती होळी विघ्ने रोळी, केशर चंदन घोळीजी, नव अंगे पूजे जिन टोली, भक्तिभाव रंगरोळी जो, शासन भक्तो भक्ति अमोली, हृदयकमलने खोलीजी, लब्धिसूरि कहे जय जिन डोली, बोले ऐवी बोलीजी. ४
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