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(१४)
( राग : वीर जिनेश्वर अति अलवेसर)
श्री सीमंधर साहेब मेरा, विनतडी अवधारोजी, नरक निगोद भीति निवारो, जनने तारणहारोजी; राय श्रेयांसकुल नगीनो, माता सत्यकी संतोजी, रुखमणीकंत विराजित सोहे, भवभंजन भगवंतोजी १
त्रिजग धारण युगल निवारण, समकित दाइ सारोजी, मिध्यात्व घन तिमिर निवारण, धर्मरूप दातारोजी; उपशमरस ध्याननो दरियो, गाजे गुहिर गंभीरोजी, प्रवचनसार सुधारस वरसे, उपशम निरमल नीरोजी. २
श्री सीमंधर साहिब दिये, अभिनव आगम दरियोजी, उद्योते शशी सूर समा गुण मिध्यात्व सवि हररियोजी; क्रोध लोभ अरु माया केरो, ताप हरे सवि दुरोजी, केवळझाने सूरज ज्यु ओपे, भविजनने आधारोजी. ३
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पगे नेउर रुमझुम करती, कंठे नवसरहारोजी, कर कंकण वर चूनडी विराजे, बाजुबंध सफारोजी; काने कुंडळ शिर मुगट मनोहर, सजी सोल शणगारोजी, शासनदेवी विघन निवारण, पद्मविजय जयकारोजी. ४