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जगचिंतामणि सुरतरु सरीखा सीमन्धर जिनरायजी, प्रातिहारज आठ विरारी, कनकवरणमयी कायाजी, अतिशयधारी ने सुविहितकारी, टाळे भवभय फेराजी, अमर अमरी नर सेवे पदकज, प्रणमुं उठी सवेराजी. १ त्रण भुवनमा उद्योतक भानु, शाश्वत जिनवर सोहेजी ऋषभ चंद्र वारिषेण वर्धमान, भविक कमळ पडिवोहेजी क्रोड पनरसे क्रोड बायालीश, लख अडवन सुखकंदोजी, सहस छत्तीस ने उपर एंसी, शाश्वता जिन नित वंदोजी. २ आठ क्रोड अने छप्पन लाख सत्ताणु सहस उदारजी, बत्तीसे व्यासी तिहुं लोकना, शाश्वता चैत्य जुहारोजी; करुणासागर गुणवयणागर, सीमन्धर जिन भाखेजी, भविजन करण कचोले पीवंतां, वाणी सुधारस चाखेजी. ३ मृगमद केसर चंदन कपूर, पूजो पंचागुली पायजी, सुकृत करणी ने दुष्कृत हरणी, संघ सकल सुचदायजी श्रीसीमन्धरजिन ध्यान करता, संकट विकटने चूरेजी, कृष्णविजय सुशिष दीप सेवकना, मनह मनोरथ पूरेजी. ४
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