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चोवीशे जिनवर आदि आदिजिणंद, सिद्धारथनंदन जाव वीर सुखकंदः पातिकदल गयघड दूरीकरण मयंद, सुखसार सुधारस वरसो ज्यु जगचंद. २ सघळा जे शास्त्रो कळातणा विस्तार, तेजे जलनिधिनो एकइ बिंदु उगरः भणई ते आगम अरथरयाग भंडार, शुभ मति आदरई वरोई जयजत्रकार. ३ सीमन्धर जिनवर शासन शोभाकार. पंचागुलीदेवी हिडयई हेज अपारः विजयदेव पटोधर विजयसिंह गगधार; जय उदय महोत्सव ऋद्धिवृद्धि विस्तार. ४
(राग : शत्रुजय मंडन......) सीमन्धर जिनपति विनति सुणो महारांज, भरभ्रमण निधारी तारी द्यो शिवराजः सुज आशा पूरण चूरण कर्म जंजीर, तुम सम नहि जगमा इममें कोई सुधीर १ पाडा विदेहमा मोहे विजय शन माठ. उत्कृष्टे काळे सिनेर सो जिन पाठ. विहरमान विचरे विरह नहि बिहु काळ ए जिनने नमोई लहोई मामा. २
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