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ढाळ १
चंदाजी हो म्हे अरिहंत जीरा, ओलगू हो राज थे छो परमदयाल नाम कोनी राज अरे हांजी हांजी कोनो राज, सीमंधर जी ने कोहनी राज वैर मान जिंणद नै को नी रा, मन मोहन प्रभु नै कीनो राज इण ग्यानी गुरु नै कोनै राज, अब कौ ज्यू नर भव सफलौ
याद जायकौनी राज ॥१
आंकणी चंदाजी हौ सूतां सुपनै संमरै हौ राज जीव पडैरै जंजाल जाय कौनी राज अरे हांजी हांजी चंदा जी हो राति दिवस जपतौ रहु होरा
मेहां चात्रक मोर जाय को. अरे हो ॥२॥ चंदाजी हो सममुख दरसण दाखवां हो राज, नयणे दोइ करै रे निहोर जाय. अरे हो. ॥३ चंदाजी हो मनसुध माहरे मने हो राज । कदेइ न लोपु कार जाइ. को. अरेहा ॥ ४ चंदाजी हो सेबक जगरूप वीनवै हो राज
आवगमन निवारजाइ को. अरेहा ॥५ इति श्री सीमंधर भा. ६ पत्र-१ प्रति स. १०८०६ श्री अभयजैन ग्रंथालय
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