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इन्द्र उतारे आरति
इन्द्राणी हे सखी गावे गीत के चालो रे ;
सुरनर ले सहु भामणा,
ज्योते जित्यो हे सखी आदित्य के चालो० ६
सुन्दर सूरत जोवतां,
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भव भवना हे सखी जाये पाप के चालो ०
ए जिन हर्ष वधारणो,
टाळे सघळा हे सखी ताप संताप के चालो० ७
(५१)
श्री सीमन्धरस्वामीशु जी, श्री श्रेयांसकुमार म्हारा प्रभुजी चाकरी चाहुं व्हारा चरणनीजी. १ स्वजन कुटुंब मळ्युं कारमुंजी, कारमो सहु संसार मारा प्रभुजी. २ धन धन त्यांना लोकनेजी, नित ऊठी करे रे प्रणाम. ३ कागळ लखवा कारमाजी, अरज करे छे मारी आंख. ४
एक वार प्रभु समवसरेजी, करु मारा दिल मेरी बात. ५ चित्तमांहे जाणे संयम लहुंजी करु मारा प्रभु साथै गोठ. ६ वाचक 'जस' इम विनवेजी, नमुं कर जोड म्हारा प्रभुजी. ७
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