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बीज तणो जे चन्दलो, तेनी साथे हमारी रे आय पहोंचेगी वंदना, सुर कहेगो संभारी रेसी० ५. नंदन श्री श्रेयांसको अंगज सत्यकीनो रे ऋक्ष्मणि राणीको नाहलो, दुजो वृषभ नगीनो रे, सी० ६ सुपनान्तर प्रभुजी मिल्या, भयो परमानंदो रे; बुध जशवंतसागर तणो, जिनेन्द्र थुणिंदो रे. सी० ७.
(४४) (सिद्धास्थना नंदन विनवु'-देशी) श्री सीमंधरस्वामी ! तुम तणा, चदण नमु चित्त लाय; अंजलि जोडी विनवू अरिहंत ! तुम विण रहण न जाय. ऐ अवधारो हो जिनवर ! पिनति, श्री सीमंधर स्वामी! विरहनी वेदना वहेली निगमु, तृपति न पामुं नामि ए० २ जनम अनंता हो श्री जिन ! हुभम्यो अवर अवर अवतार; पुण्य प्रमाणे रे हमणां पामीयो, नरभव भरत मोझार ए० ३ महाविदेहे रे स्वामि ! तुम वसो, पांख नहीं मुज पास; किण पेरे आवी रे पाप आलोईए, मनमा रहियो विमास. ए० ४ मलवा हैडु रे अरिहंत ! किम मिलु शत्रु घणा मुज लार, व्हार करजो हो तुमे केवरघणो, अबर नहि रे आधार. ए. ५ अंब विना जिम कोयल नवि रमे, मधुकर मालती सेव, रति नवि पामे हो तिम मन माहरु तुम दरिशम विण देव. ए० ६ स्वामि ! तुमारी हो करीशु स्थापना, जाणे श्री जिनराय, गुण गाबतां हो भाषशु भावना, निश्चलता मन लाय. ए. ७
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