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विन्दु:
( ७१ )
त्रीजेो समय अणा
१८६ चार समयनी विग्रह गतिमां बीजेा अने हारी होयछे, ओजाहार, लोमाहार अने कवलाहार, पूर्वोक्त वे समयमा नथीः कार्मण वर्गणाना आहार तो ए वे समयमां पण हाय के.
१८७ रुजुगति एक समयनी होय छे अने तेमां आहार है.
१८८ केवली समुद्घातमां त्रीजा, चाथा अने पांचमा समयमां जीव अणाहारी छे, पहेला समयमां के वली समुद्घातकाले औदारिक, attrai औदारिक मिश्र, त्रीजामां कार्मण, चोथामां कार्पण योग, पांचमामां कार्मण योग, छठामां तथा सातमामां मिश्र, अने आमामां औरयोग.
१८९ तेरमा गुणठाणे सत्य भाषायोग, तथा असत्या अमृषाभाषा योग, अने सत्यमनेायोग तथा असत्यामृषामनोयोग होय. तथा औदारिक, औद्वारिक मिश्र अने कार्मण सर्व मळी सात योग होय.
१९० कोइक आचार्य शरीर कांतिने तेजसनुं कार्य गणे छे.
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