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द्रव्यप्रकाश.
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॥ अन्यमति प्रश्नोत्तर ||
॥ सवैया इकतीसा ||
कालवादीकी उकती गत थिती रीत इत कालके अधीन दीन हीन मत पीन है, बुध कहे कालगुन नव पुरातनपन दोय क्रिया एक द्रव्य कबहु न कीन है; पंचभूत वादी कहे गति वाउ भूत छति थितिरीत समसत्त प्रथवी अधीन हे, बुध कहे वायुभूमि जीव yere army बल और याको बल तौन बीन है ॥ ५७ ॥ ॥ दोहा ॥
या ते पुद्गल जीवको गति थिति हौत सदीव;
"
धर्म अधर्म दो क्रयजड, इनको ज्ञाता जीव ॥ ५८ ॥
॥ कालद्रव्य लक्षण ॥ ॥ दोहा ॥
वरतन परणति जासु नित, क्रियापरा परवान; नव जीवनको हेतु जो, कालद्रव्य सो जान. ।।५९ ॥
॥ कालद्रव्य गुणपर्याय कथन ||
॥ सवैया इकतीसा ॥
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अस्ति आदि अष्टगुन युंत अप्रदेशी नित समेकौ मीलन विनुं नाहि अस्तिकाय है, वरतना हेतुए विशेष गुन कहे जिन अगुरु लघुत्व भेद याके परयाय हे; आवली प्रमुख पर परजाय हे अनंत उतपाद व्यय ध्रुवमंत कही वाय हे, सो तो द्रव्य एक कहे समय अनंतवंत नरखे नमित वरतनाको उपाय हे ॥ ६० ॥
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