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द्रव्यप्रकाश.
॥ अथ ग्रंथारंभको नमस्कार ॥ ॥ दोहा ॥ छहोभाव स्यादवादको, जामे अरथ विलास, समकित कारण ग्रंथ यह नामे द्रव्यप्रकाश ॥ १८ ॥
|| शिष्य प्रश्न ॥
॥ दोहा ॥
ज्ञानरूप आदेयजो, जानौ चेतन सोय, जे अजीव फुनि हेय है, उन जाने क्या होय. ॥ १९ ॥
॥ अथ गुरुउत्तरकथनं ॥
॥ सवैया वीसा ||
चेतन द्रव्य अनंत गुनाश्रित ध्येय आदेय स्वभाव धेरै आप विसारि वसे भवकीचमे आप लखे शिवभाव वरे है, इतै यह जीव पराइ कुसंगति चंचलभाव लिये विचरे है, शिष्य संदेह निवारन कारन त्याग स्वरूप वखान करे है ॥२०॥ ॥ दोहा ॥
त्यागे परको जानिके, गहै आपनो जान,
या ते दोनुं भावको, पंडित करे बखान ॥ २१ ॥
|| भेदज्ञान चरणन ॥
॥ दोहा ॥ भेदज्ञान शिवमा गहे, ज्ञानगेय इहिमांहि, ध्यान ध्येयकी शुद्धता, भेदज्ञान विनुं नाही. ॥ २२ ॥
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