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अह प्रवचन मातानी सइझाया.
देवचंद्र तेह मुनि वंदिये, ज्ञान अमृत रस पीनरे साधुक ॥ १२ ॥
॥ ढाल ब्रीजी।। ॥ झांझरिया मुनिवर ॥ ए देशी ॥ समिति तीसरी एषणाजी, पांच महाव्रत मूल । अणहारी उत्सर्गनोजी, ए अपवाद अमूल; मनमोहन मुनिवर समिति सदाचित्तधार॥१॥ चेतनता चेतनतणीजी, नवि परसंगी तेह। तिण पर सन्मुख नवि करेजी, आतमरती व्रती जेह ॥ मन० ॥२॥ काय योग पुद्गल ग्रहेजी, एह न आतम धर्म। जाणग करता भोगताजी, हुं माहरो ए मर्म ॥ मन० ॥३॥ अणभिसंधि चल वीर्यनीजी, रोधक शक्ति अभाव ।
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