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अष्ट प्रवचन मातानी सझ्झायो.
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॥ ढाल पहेली॥ प्रथम गोवालणतणे भवेजी ॥ ए देशी ॥ प्रथम अहिंसक प्रततणीजी, उत्तम भावना एह ॥ संवर कारण उपदिशीजी, समता रस गुण गेह ॥ मुनीसर इरिया समिति संभार, आश्रव कर तनु योगथीजी, दुष्ट चपलता वार ॥ मुनीसर० ॥१॥ काय गुप्ति उत्सर्गनोजी, प्रथम समिति अपवाद ॥ इरिया ते जे चालवोजी, धरि आगम विधिवाद. मुनी०॥२॥ ज्ञान ध्यान सिझ्झायमांजी, थिर बेठा मुनिराज ॥ श्याने चपलपणो करेजी, अनुभव रस सुखराज ॥ मुनी० ॥३॥ मुनि ऊठे वसही थकीजी, पामी कारण च्यार ।
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