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वडी साधु वंदना.
क्षेत्र विदेहमे केवल संयम, सिद्धही सोले ते मुनी ए, इण परि अनीवह दोए गतीस सहु यति कहु गुण थूणीए; दसरह द्रढ रहे महा धनुतेह, सतधनु गुण भुज मन वस्याए, नवधनु दसधनु सहि धनुमुनि एह भारवीयो, सूत्र वनही दशाए॥५ पूरव भव हरगुरु नाम दुसगलेण, ललत नाम ते पूरवभवे ए, राम बलदेव वली नवमो हलधार, ब्रह्म लोके सुर अनुभवे ए; चविजिण तेरमो नाम निकसाय, थाय सीसही सुरतरु समोए, बंधव केशव एक अवतार, अमम होसी जिण बारमोए ॥६॥ सहसबले त्यांसियां सातसे भाषीयां, वरस पंचास इहां अंतरोए; तिहां वले चित्तमुनि सिद्ध संपत्तसु, नाम लेईने कीरत करूं ए, पूर्वभव बंधव चक्री ब्रह्मदत्त, सातमी नरक गयो मरी ए; ईण अंतरे वली नमुं, बहु केवली वेगेसिव सुंदरी ज्यां वरीए ॥७ ॥ ढाल ९ मी ॥ रामचंद्र के बागमें चम्पो मोरी रहोरी
॥ए देशी॥ तेवीसमा जिन तारक, पुरसा दाणीय पास, मुनिवर सोले सहस, गणधर आठहुलास; आज दिने सुभ मुभ धीक, वांदु बासठ नाम, वली ब्रह्मचारी सोमल, श्रीधर करूं प्रणाम ॥१॥ वीरमइ जस आदि, सिद्धा सहस प्रमाण, तेह मुनिवर वंदतां, होवे परम कल्याण; साधवी संख्या सह अडतीस, सहस वखाणूं, पुष्प चूलादि सहस दो, सिद्धी ते मन आणु ॥ २ ॥ समणी सुपासी यासी भुसी, भासी धर्म चौजाम, ए अधिकार कह्यो, श्री ठाणांग सुठाम;
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