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वडी साधु वंदना.
चउदस पूर्वी वली, चौनाणी केसी कुमार, परदेशी प्रतिबोधियो, कीधो बहु उपगार. ॥३॥ वरस अढाई सो अंतरो, सिद्धा साधु अनेक, ते सौ वंदु सुविनयसु, आणी नित्त विवेका मुनिवर चौदे सहस, गुरु प्रामुं श्री नहावीर, सातसो केवली वंदीये, गणधर एकादस धीर. ॥४॥ इंद्रिभूति अग्निभूति, तीजा बांडु वायुभूति, विगत सुधर्मा वंदतां, मममति निर्मल होई मंडीपूत मोरी पूत, प्रकंपित नित सीवदास, अचल प्रातमेतार्य, प्रणमुं श्री प्रभास. ॥५॥ वीर गए वीर जसा नृप, संजइणी जनेय, सेतन संब उदायण, नरपत संख कहाय; वीर जिणेसर आठेइ, दिक्षा राई जाण, मुनिवर पोटिल वांदतां, गोत्र तीर्थंकर ठाण. ॥ ६॥ . पालक श्रावक पुत्र ते, वांदु समुद्र पाल, पुन्य ने पारे दो क्षय करी, सिध्या साधु दयाल नयरी सावत्यी दोउ मिल्या, केसी गौतम स्वामी, शिक्षारि संका काढने,पंच महाव्रत लहवरिया शीर नामी.॥७ ॥ ढाल १० मी ।। अरणक मुनिवर चाल्या गोचरी
॥ए देशी ॥ महा कुंड नयरिनो अधिपति, नाहण कुल नाम चंदोजी; वीर जिणेसर तात जगगुण नीलो, ऋषभदत्त मुणिंदोजी. ॥१॥ नितनित वांदु मुनिवर ए सहु, त्रिकरण सुध त्रिकालोजी; विधसु देई तिन प्रदक्षिणा, करु अंजलीनिज भालोजी.नि०॥२
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