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बडी साधु वंदना.
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मूलसरी मूल दत्ताविउ, संब कुमररी नाररी माई अंतगढ अंगे ए सहु भाखो, पामी भवनो पाररी माई. श्री०॥२० उत्तराध्येन राजेमती सती, संयम सीलरी खाणरी माई; प्रतिबोधी रहनेमि पाम्यो, सासता सुख निखाणरी माई.श्री०॥२१
॥ ढाल ८ मी । गौतम समुद्र कुमार सागर गंभीरा
॥ए देशी ॥ थावच्चा सुत सुखसे लग आद दे, पंथक प्रमुख मुनि पांचसोए, मास संलेषणां करी तप अति वणां, पुंडरीक गिरी सिवपुरवों ए; युधिष्ठिर भीम अति बली, अर्जुन नीकुल सहदेवजी ए, राय श्रीपरिहरी, सुध संयम धरी, साधुजी शीवपदवी भजीए॥१॥ चौद पूर्व धरी थीवर धर्मवोष, धर्मरुचि सीस गुण भर्यों ए, नाग श्रीब्राह्मणी वीष दीयो पापणी, तुंबांनो मास पारणो कीयोए; सर्वार्थ सिद्ध अवतरी तद नर भव करी, क्षेत्र विदेहमे सिव गयोए, ते मुनि वंदतां कर्मवली नंदतां, जन्म जीवीत सफलो थयोए॥२ समणी गुवालीया तीण सुख मालीयां दीपोयाता सहुगुण भणुए, तीम वली सुव्रता द्रौपदी संयता, नेम सासण गुण धुंणुए। विमल जिन अनंत अंतरे राय महि, बलदेव पदमावतीए, तासते अंगए कुमर विरङ्ग ए, तरुणी बत्तीस तरुणी पत्तीए ॥३॥ ताम सिद्धत्थ गुरु पास संयम बरु, ब्रह्मलोके सुर उपन्यो ए, चवी बलदेव धरे रेवती उपद्रव रे, निषढ नाम सुत संपनी ए; नेम पाई अनसरी अथिरधन परहरी, रमणी पंचासतजी व्रत ग्रह्योए करी बहु समदम वरस नव संयमे, पालीने सर्वार्थ सिद्ध लह्योए॥४
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