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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री ज्ञान बहुमान नमस्कार. ॥ श्री ज्ञान बहुमान नमस्कार ॥ सकल वस्तु प्रतिभाशभानु निरमल सुख कारण, सम्यग दर्शन पुष्ट हेतु भवजल निधि तारण; संयम तप आनंद कंद अन्नाण निवारण, मार विकार प्रचार ताप तापीत जिन ठारण ।। १ ।। स्याद्वाद परिणाम धर्म परणति पडि बोहण, साहु साहुणी संघ सर्व आराधन सोहणः मोहतिमर विध्वंस सूर मिथ्यात्व पणासण, आतम शक्ति अनंद शुद्ध प्रभुता परगासण ॥ २ ॥ मति श्रुति अवधि विशुद्ध नाण मणपज्जव केवल, भेद पचास क्षायोपशमिक अक क्षायिक निरमल; दोय परोक्ष प्रथम तिहां दुग परतक्ष देशतः, सकल प्रतक्ष प्रकाशभास ध्रुव केवल अपर मित ॥ ३ ॥ धर्म सकलनो मूल शुद्ध त्रिपदी जिन भाशै, बाहिर अंग प्रधान बंध गणधर सुप्रकाशैः श्री निर्युक्तिभाग्य पडिशाखा दीपैं, चरण टीका पत्र पुष्य संशय सत्र जीपें ॥ ४ ॥ पंचांगीसार बोध को जित पंचम अंगे, नंदी अनुयोग द्वार साख मानो मनरंगे; वीर परंपर जीत अनुभव उपगारी, अभ्यासो आगम अगम निरुपम सुखकारी ॥ ५ ॥ ३३ For Private And Personal Use Only ९२५
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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