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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९१४ श्री सिद्धाचल चैत्य परिवाडी स्तवन. आणंद रक्षित भावनाए भावतां सिवपुर पत्त || से० ॥ कालासी इगसहसथीए, मुनी सुभद्र सय सत्त ॥ से० ॥ ११ ॥ रामचंद्र पण कोडथीए, नारदमुनि पिसताल ॥ से० ॥ पांडव कोडि वीसथीए, सिव पोत्या सगकाल || से० ||१२|| is प्रद्युम्न मुनिश्वरुए, मुनि साढीत्रिण कोड ॥ से० ॥ विमलाचलें निर्मल थया ए, ते प्रणमुं बे करजोड | से० ॥ १३ ॥ थावच्चा सुत सूकमुनिए, सेलंग पंथक सिद्ध || से० ॥ वसुदेव धरणी सिव लघु रे, सहस पैत्रीस प्रबुद्ध ॥ से० ॥१४॥ वेदरति निकरमताएं सामी सल चोफाल ॥ से० ॥ श्री वससार आनंतताए, पामी गुण संभाल || से० ||१५|| सिध्या बहु मुनि इण गिरिवरेंए, यादव वंश अनेक ॥ से० ॥ श्रेणिक कुलं साधु साधवीए, सिद्ध लह्या थिर टेक ॥ से० ॥ १६ ॥ विद्याधर भूचर घणाए, इहां पाम्या गुण कोडि ॥ से० ॥ आतम हेते एहनीए को न करी शकें होडि ॥ से० ॥ १७ ॥ तिवारें तीस्थपतीए, ए तीरथ बहुवार || से० || आव्या भविजन तारखाए, निरमम निरहंकार ॥ से० ॥ १८ ॥ पुंडरगिरिनी सेवनाए, जेह करे भवी जीव ॥ से० ॥ ते आतम निरमल करीए, पामे सुख सदीव || से० ॥ १९ ॥ ए गिरिराजने सेवतांए, पामे देवचंद्र पदसार ॥ से० ॥ भव भव ए तीर्थ सेवनाए, होज्यो परम आधार. ॥ से० ||२०|| • ॥ कलस ॥ ईम सकल तीरथ नाथ सेतुंज शिखर मंडण जिनवरो श्री नाभिनंदन जग आनंदन विमल शिव सुख आगरो २२ For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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