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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्री सिद्धाचल चैत्य परिवाडी स्तवन. ॥ श्रीसिद्धाचल चैत्य परिवाडी स्तवन || 1993 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ९१३ भरत नृप भावशु ॥ प देशी ॥ शेत्रुज गिरि भेटीये ए मेटीये कर्म कलेश || सेश्रुंज० ॥ मिथ्या दोष निवाखा ए धाखो समकित देश || से० ॥ १ ॥ कालअनादि भवोदधिए भमतां भव समुदाय || से० ॥ यान पात्र सम जाणजो ए एहिज तीरथराय || से० || २ || मानव भव पामी करीए ए तीरथ गुणगेह || से० ॥ जेणे नवि भेट्यो जुगतसुं ए ते दुःखीयामें रेह || से० || ३ || इहां सिद्धा पण कोडीसुं ए गणधर श्री पुंडरीक || से० || चैत्र शुकल पुनिम दिनेए निज सत्ता गुण ठीक || से० ||४|| फागुण सुदि सातम लहयें नेमि विनमी शिवनाथ || से० ॥ चोसठि नमी पुत्री वसुए आठमें केवलज्ञान || से० ॥ ५ ॥ सागरमुनि तिग कोडीथीए कोडीथी मुनि श्रीसार ॥ से० ॥ तेर कोडियी सिववसुए सोमश्री अणगार || से० ॥ ऋषभ वंश आदितजसा ए, तसु सुत आदित्य कांति ॥ से० ॥ एकलाख परिवारस्युं ए, पाम्या परम प्रसंति ॥ से० ॥ ऋषभ वंश मुनिवर बैहुए, गणधर कोडि असंख ॥ से० ॥ सिव पूढता सिद्धाचलेए निरमते निरकख ॥ से० ॥ ८ ॥ दस कोडयी सिव लघुए, द्रावड ने वारीखिल्ल ॥ से० ॥ चउदसहस निग्रंथथीए दमितारी निसल ॥ से० ॥ ९ ॥ आदिनाथ उपगारथीए कोडि सत्तर अणगार || से० || श्री जितसेन मुनीश्वरु ए, पाम्या सुख अपार ॥ से० ॥ १० ॥ ६ ॥ 115 २१
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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