________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
एकवीशप्रकारी पूजा.
१७ वाजित्रपूजा ॥
॥दोहा॥ ॥ भंभा भेरी मृदंगवर, तंत्री ताल कटताल ॥ जल्लरी दुंदुही शंख इति, वाजिन पूज विशाल ॥ ५३ ॥ ढाल ।। जेम जेम वाजिक वाजे, गाजे अतिघन घोर ॥ तेम तेम जिनगुणें राचे, माचे ज्युं घनमोर ॥ निसुणि भूपति डंका, वंका तस्कर दूर ॥ जाये तेम वाजिवथी, गारथी दोष ते भूर ॥ ५४ ॥ काव्यम् ॥ श्रीजिनआण वरमे गंधारी, नियत उपयोगी वचन ते वाद्य भारी ॥ वीर्योल्लास लखि मोह वासे, भावथी वाद्यपूजा प्रकाशे ॥ ५५ ॥ इति सप्तदशवाजिकपूजा ।
१८ गीतपूजा ॥
॥दोहा॥ ।। भैरव विभास आशावरी, टोडी नट्ट कल्याण ॥ धन्यासिरि पमुहें स्तवे, पूजा गीत प्रमाण ।। ५६ ।। ढाल ।।. गुणरागें शुद्ध रागें जे जिन गान ॥ जागे अनुभववासना, मागे केवलमान ॥ तान मान स्वर ग्रामनी, मूर्च्छनाभेदें भेद ॥ लय लागे रुचि जागे, त्यागे ममता खेद ॥ ५७ ।। काव्यम् ।। शुद्धनिद जिनरूप धारी, अहव वाच्छल्यता गुणसंभारी ॥ दवगुण पज्जवा शुद्ध भाखे, भावथी गीतरस तेह चाखे ॥ ॥ ५८ ॥ इति अष्टादशगीतपूजा ॥ १८ ॥
111
For Private And Personal Use Only