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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकवीशप्रकारी पूजा. पूजना पत्र शुचिभाव जागे, अग्र उपयुक्तता सवि दोष तागे ॥ भावतंबोल श्रीजेह माचे, शिवववू तेहथी सद्य राचे ॥३४॥ इति दशमपत्रपूजा ॥ १० ॥ ११ पूगीफलपूजा ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ उज्ज्वल शुद्ध सुस्वाद्यवर, नव्य भव्य जे जाति ॥ जनप्यारी सोपारी वर, पूजो जिन भलि भाति ॥ ३५ ॥ ढाल ॥ मंगल कारण लावियें, भावियें घर घर हर्ष ॥ स्वस्तिक मंडन खंडन, दुरित तणा उत्कर्ष ॥ क्रमुक फले जिन अरचो, विरचो धरी गुणराग ॥ मंगलमाला थावे, पावे भवजल. ताग ॥ ३६ ॥ काव्यं ॥ शुद्धस्याद्वाद मृदुभावसंगें, शुक्लता शुद्धवर भाव रंगें ॥ भावथी पूजतो एम पूगें, नियति आनंद घर तेह पूगे ॥ ३७ ।। इत्येकादशपूगीफलपूजा ।।११।। १२ नैवेद्यपूजा ॥ ॥दोहा॥ || सरस शुचि पकवान भर, शालि दाल वृतपूर ॥ करे नैवेद्य जिन आगले, क्षुधा दोष तस दूर ॥ ३८ ॥ ढाल ॥ लपनश्री वर घेबर, मृदुतर मोतीचूर ॥ सिंह केसर सेवइया, दलिया मोदक पूर ॥ साकर द्राख शीगोडां, भक्त व्यंजन वृत सद्य ॥ एम नैवेद्य जिनने करे, तस मले सुख अनवद्य ॥ ३९ ॥ काव्यम् ॥ ढोकता भोज्य परभाव त्यागे, भविजना निजगुण भोग मागे || अम भणी अम तणुं स्वरूप ૨૮ For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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