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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८६४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्नात्र पूजा. ॥ त्रुटक ॥ ॥ थरहरे आसन इंद्र चिंते, कोण अवसर ए बन्यो | जिन जन्म उत्सव काल जाणी, अतिही आनंद उपन्यो || निज सिद्धि संपत्ति हेतु जिनवर, जाणी भक्ते ऊमह्यो || विकसित वदन प्रमोद वधते, देव नायक गहगह्यो ।। १ ।। ॥ ढाल ॥ ॥ तव सुरपतिजी, वंटानाद कराव ए ॥ सुरलोकेंजी, घोषणा एह देवराव ए ॥ नरक्षेत्रें जी, जिनवर जन्म हुओ अछे । तसु भगतें जी, सुरपति मंदर गिरि गछे ॥ ॥ ऋटक ॥ ॥ गच्छेति मंदर शिखर उपर, भवन जीवन जिन तणो ॥ जिन जन्म उत्सव करण कारण आवजो सवि सुरगणो ॥ तुम शुद्ध समकित थाशे निर्मल, देवाधिदेव निहालतां ॥ आपणां पातक सर्व जाशे, नाथ चरण पखालतां ॥ २ ॥ ॥ ढाल ॥ ॥ एम सांभली जी, सुरवर कोडी बहु मली ॥ जिनवंदनजी, मंदरगिरि सामा चली || सोहमपतिजी, जिन जननी घर आविया || जिन माताजी, वंदी स्वामी वधाविया ॥ ॥ क ॥ ॥ वधाविया जिन हर्ष चहले, धन्य हुं कृतपुण्प ए ॥ त्रैलोक्य नायक देव दीठो, मुज समो कोण अन्य ए ॥ हे जगत जननी ! पुत्र तुमचो, मेरु मज्जन वर करी ॥ उत्संग तुमचे वलिय थापा, आनमा पुण्ये गरी ॥ ३ ॥ १४ For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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