SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 442
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्नात्र पूजा. ८६३ वधे सुर हर्ष धाम ॥ ७ ॥ पिता माता धेरें उत्सव अशेष, जिन शासन मंगल अति विशेष ॥ सुरपति देवादिक हर्ष संग, संयम अर्थिजनने उमंग ॥ ८ ॥ शुभवेला लगने तीर्थ नाथ, जनम्या इंद्रादिक हर्षं साथ ॥ सुख पाम्या त्रिभुवन सर्व जीव, वधाई बधाई थइ अतीव ॥ ९ ॥ || ढाल || पांचमी ॥ ॥ श्रीशांति जिननो कलश कहिसुं प्रेम सागर पूर ॥ ए देशी ॥ ॥ श्रीतीर्थपतिनुं कलशमज्जन, गाइयें सुखकार ॥ नरवित्त मंडण दुह विहंडण, भविक मन आधार || तिहां राव राणा हर्ष उत्सव, थयो जग जयकार ।। दिशकुमरी अवधि विशेष जाणी, लह्यो हर्ष अपार ॥ १ ॥ नियअमर अमरी संग कुमरी, गावती गुणछंद ॥ जिन जननी पासें आवि पोहोती, गह गहती आनंद || हे माय ! तें जिनराज जायो, शुचि वधायो रम्म || अम जम्म निम्मल करण कारण, करीश सूईकम्म ।। २ ।। तिहां भूमि शोधन दीप दर्पण, वाय वींजण धार ॥ तिहां करीय कदली गेह जिनवर, जननि मज्जनकार || वरराखडी जिनपाणी बांधि, दीये एम आशीष ॥ जुग कोडा कोडि चिरंजीवो, धर्मदायक ईश ॥ ३ ॥ ॥ ढाल || छठी ॥ एकवीशानी ॥ ॥ जग नायकजी, त्रिभुवन जन हितकार ए ॥ ॥ परमातमजी, चिदानंद घनसार ए ॥ ए देशी ॥ || जिन रयणीजी, दशदिशि उज्ज्वलता धरे ॥ शुभलगनेजी, ज्योतिष चक्रते संचरे || जिन जनम्याजी, जेणें अवसर माता रे || तेणे अवसरजी, इंद्रासन पण थरहरे ॥ १३ For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy