________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चउदशम श्री शिवगति जिन स्तवन.
गुण प्राग्भावी कार्यतणे
कारणपणे हो लाल ॥ तणे० ॥ रत्नत्रयो परिणाम ते ऋजुसूत्रे ___ भणे हो लाल ॥ ते रुजु०॥ जे गुण प्रगट थयो निज निज
कारज करे हो लाल के ॥ निज०॥ साधक भावे युक्त शब्दनये
ते धरे हो लाल ॥ शब्द० ॥६॥ पोते गुण पर्याय प्रगटपणे __ कार्यता हो लाल ॥ प्र०॥ उण थाए जाव ताव
संभिरूढता हो लाल ॥ ताव०॥ संपूरण निज भाव स्वकारय
कीजते हा लाल ॥ स्व०॥ शुद्धातम निजरूप तणे
रस लीजते हो लाल ॥ त०॥४॥ उत्सर्गे एवंभूत ते
फलने नीपने हो लाल ॥ ते॥ निसंगी परमातम रंगथी
ते बने हो लाल के ॥२०॥
For Private And Personal Use Only